________________
श्री नमस्कार महामंत्र की प्रकटता :
ऊपर हमने मंत्रशास्त्र के नियम की चर्चा का तदनुसार मंत्र को गोपनीय बनाया गया, जब कि दूसरी और नवकार महामंत्र को कभी भी किसी काल में गोपनीय न रखकर महापुरुषों ने इसे अधिक प्रकट रखा है-सर्वसाधारण के लिये खुला रख दिया है, संभव है व्यक्तिगत साधक ने स्वयं अवश्य ही इस महामंत्र को स्वसाधना की सिद्धि की दृष्टि से गुप्त रखा होगा - गोपनीय रखा होगा अथवा कदाचित प्रकट कर देंगे तो इसकी महत्ता नहीं रहेगी, बहुत से जानते हैं, अतः अन्य को इसकी कुछ भी महत्ता न लगे - इस दृष्टिकोण से भी गोपनीयता रखी हो - यह भी शक्य है, अन्यथा तो जितनी नवकार की महानता है उतनी ही इसकी व्यापकता है, सर्वत्र प्रसिद्ध प्रचलित यह सर्वविदित मंत्र है, न इस मंत्र में कोई गोपनीयता है न यह मंत्र गोपनीय है. यह प्रकट मंत्र है ।
___ व्यवहार मार्ग में प्रकटरुप से इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है। जगत में व्यवहार नय से ही सर्वसामान्यरुप से आबाल-वृद्ध सर्वजनों को सार्वजनिक रुप से यह मंत्र दिया जाता है परन्तु विशेषाधिकार के साथ विधि तो श्री महानिशीथ आगम में बताई गई है। उपधानविधि बताई गई है, जिसमे तपश्चर्यादि करने के साथ साथ गुरुनिश्रा में साधना करके योग्यता प्राप्त की जाती है, और फिर वाचना के रुप में सूत्र, अर्थ और तदुभय स्वरुप में दी जाती हैं। यह विधान महानीशिथ नामक छेद सूत्र में किया गया है। दूसरी ओर इसी महानीशिथ आगम में बिना उपधान के नवकार महामंत्र देने में, अनंत संसारीपन भी माना गया है, परन्तु संसार में सर्व साधारण व्यक्ति व्यवहारनय के अनुसार नवकार महामंत्र एक-दूसरे को देते रहतें
हैं।
माता पुत्र को नवकार महामंत्र सिखलाती है, बुलवाती है यह मात्र सामान्य व्यवहारनय है, मरणावस्था के समय महामंत्र नवकार सुनाया जाता है, तब अन्य पात्रता अथवा विधि आदि देखने का कहां अवकाश है? इस प्रकार इस संसार का व्यवहार चलता है इसलिये नवकार महामंत्र की व्यवहारनय से जाहिर प्रकटता है। इस महामंत्र को विशेष रुप से गुप्त नहीं रखा गया है, इसे सबके सामने खुला रखा गया है, जो कोई भी पढे, जाने, वाचन और जापादि करे, इसके लिये इसे सर्वोपयोगी बनाया गया है ।
13