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कहलाते हैं । इस प्रकार ईश्वर की सर्वज्ञता ही नष्ट हो जाती है और यदि सर्वज्ञता ही नष्ट हो जाती है तो उसके आधार पर टिकाये रखा हुआ सर्वव्यापीपन कैसे टिक सकेगा ? और साथ ही उसका सर्व कार्य कर्तृत्वपन भी कैसे हो सकेगा ? क्यों कि किसी मकान की नींव ही जब अस्थिर हो जाए और उसमें से कंकड़ पत्थर अलग होकर गिरने लग जाएं तब ऊपर रहे हुए संपूर्ण मकान की क्या स्थिति होगी ? वह गिरने ही लगेगा या और कुछ ? बस, यही स्थिति यहाँ भी है। एक एक विशेषण जो ईश्वर को सिद्ध करने के लिये दिये हैं वे ही जब टिक नहीं सकते, तो ईश्वर रुपी मकान कैसे टिक पाएगा ?
दूसरी ओर देखें तो क्या सर्वज्ञ के कार्य में कभी कोई भूल हो सकती है क्या ? और होती है तो क्या वह सर्वज्ञ कहलाएगा ? उत्तर स्पष्ट है कि भूल कदापि न होनी चाहिये और यदि उससे भूल हो जाती है तो वह सर्वज्ञ कहलाने का अधिकारी ही नहीं है । ईश्वर कारण है और ईश्वर द्वारा रचित यह सृष्टि कार्य है । क्या इस रचित सृष्टि में भूलें दिखाई नहीं पडती ? सैंकड़ो भूलें दिखाई पडती हैं । उत्पन्न करने में भूलें हैं, संचालन में भी अनेक भूलें द्दष्टिगोचर होती हैं, उदाहरण के लिये पापी - अधर्मी जीवों को ईश्वर ने क्यों बनाया ? चोर, लुटेरे, गुंडे, धूर्त, ठंग, खूनी, हत्यारे, नरभक्षी राक्षस, भूत-प्रेत, पिशाच, दुराचारी, परस्त्रीगामी, व्यसनी आदि अनेक प्रकार के घोर पापी लोगों को बनाने की क्या आवश्यकता थी ? ईश्वर ने इन्हें क्यों बनाए ? क्या बनाने से पूर्व ईश्वर को ज्ञान न था कि ये लोग ऐसे ऐसे भयंकर पाप करेंगे ? और ये बेचारे भी क्या करें ? ये तो यही कहते हैं कि हम कुछ नहीं करते । ईश्वर की इच्छानुसार ही सब कुछ होता है । ईश्वर ही अपनी इच्छा पूर्ण करने के खातिर हम से सब कुछ करवाता है इसमें हमारा क्या दोष ? हम हमारी स्वेच्छा से तो कुछ भी करते ही नहीं ।
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यह कैसी बात है ? तो फिर पहले ईश्वर ने इनका निर्माण क्यों किया ? और फिर ईश्वर की इच्छानुसार ही सब होता है - इस सिद्धान्त में ये लोग भी क्या करें ? इनकी बात भी सही लगती है तो यह सब भूल किसकी है ? दुनिया बनाने वाले की या किसी अन्य की ? और यदि ईश्वर ने इतनी गंभीर भूल की हैं तो उसने ऐसी भूल कब की ? सर्वज्ञ होते तो आगे-पीछे का सब कुछ जानकर - देखकर ही कार्य करते ? और यदि सुव्यवस्थित विचारपूर्वक नहीं किया है तो यह भूल तो ईश्वर में से सर्वज्ञता को ही खा जाएगी और इस प्रकार यदि ईश्वर में से सर्वज्ञता ही चली गई तो फिर प्राणविहीन शव जैसी सर्वज्ञताविहीन ईश्वर की हालत हो
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