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अद्रश्य है भलेही अद्रश्य मान ले पर सृष्टि रचना का चलता हुआ कार्य अद्रश्य यह तो सर्वथा असंभव है|वास्तविकता तो यह है कि कहीं भी बैठकर इश्वर सृष्टि की रचना ही नहीं करता तो फिर प्रदर्शन करने का तो प्रश्न ही कहां उठता है ?
रचना के साथ संहार क्यों ?
यदि आप इस पक्ष को स्वीकार करते हैं कि नित्य इश्वर सतत सृष्टि रचना का कार्य कर रहा है तब संहार या प्रलय का विचार ही कहां आया ? यह नवीन इच्छा कहां से आइ ? और जब इश्वर की अभी तक तो सृष्टि रचना चल ही रही है, कार्य नियमित रुप से चल रहा है, तो ऐसा क्यों हैं ? क्या ईश्वर अपनी नित्यता .. बनाए रखने के लिये सृष्टि रचना का कार्य अनवरत रुप से नित्य किये जा रहा है ? क्या ऐसा मानोगें ? ठीक है तो फिर जिस सृष्टि रचना का कार्य अभी तक चल रहा है और जो सृष्टि अभी तक अधूरी है, अपूर्ण है तो समझ में नहीं आता कि अभी तक कौन से कार्य करने शेष रह गए हैं ? जीव-सृष्टि हो गई पृथ्वीपानी-अग्नि-वायु-आकाश वृक्ष-पुष्प-पत्ते फलादि सब कुछ कभी का हो चुका है,
और अनादि से लगाकर आज तक अनंत काल व्यतीत हो चुका हैं, साथ ही रचयिता भी कोई जैसा-तैसा सामान्य कोटि का जीव नहीं, बल्कि सर्व सामर्थ्य सम्पन्न सर्व शक्तिमान् ईश्वर है फिर भी सृष्टि - रचना का कार्य अभी तक समाप्त नहीं हुआ ? तो क्या ईश्वरीय शक्ति में न्यूनता आ गई ? क्या उसका सामर्थ्य घट गया, क्या इच्छा अवरुद्ध हो गई, या क्या हुआ ? क्या कारण है कि अभी तक सृष्टि पूरी नहीं हुई ? वास्तव में सृष्टि रचना का कार्य ही समाप्त नहीं हुआ या .मात्र ईश्वर की नित्यता को टिकाए रखने के लिये यह ढाल खड़ी की गई है ? नहीं। तब फिर सृष्टिरचना का कार्य कब समाप्त होगा ? कभी न कभी तो पूर्ण होगा या नहीं ? यदि हां, कहते हो तो जब भी यह कार्य पूर्ण होगा, उसके साथ ही इश्वर की नित्यता भी समाप्त हो जाएगी । अर्थात् सृष्टि रचना का कार्य की समाप्ति के साथ ही ईश्वर की समाप्ति हो जाएगी । यदि ईश्वर की ही समाप्ति हो गई तो फिर सृष्टि-निर्माण के पश्चात् सृष्टि संचालन और महाप्रलय-संहार आदि कार्य कौन करेगा ? या क्या सृष्टि रचना का कार्य चल रहा हो, अभी तक पूर्ण न हुआ हो, उसके पूर्व ही ईश्वर सृष्टि का संहार-प्रलय कर डालेगा ? नहीं-नहीं ईश्वर इतनी बड़ी मूर्खता तो कदापि नहीं करेगा... तो क्या सृष्टि रचना का कार्य चलता ही रहेगा ? तो कहाँ चलेगा ? अभी और कितने वर्षों तक चलेगा ?
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