________________
पूर्व ग्रंथो की विशालता का परिचय देते हुए कहा गया है कि इतने हाथीयों के वजन तुल्य श्याही से जितना भी लिखा जा सके, उस लिखित ग्रंथ को पूर्व - संज्ञा से संबोधित किया गया है । माप और परिमाण को स्पष्ट करने की दृष्टि से हाथी की उपमा दी गई है।
हमारा दैनिक अनुभव कहता है कि श्याही की एक दवात में से कितने पृष्ठ लिखे जा सकते हैं और श्याही की एक बड़ी बोतल में से कितने पृष्ठ लिखे जा सकते हैं ? जब कि यह तो एक हाथी के परिमाण - वजन तुल्य श्याही से जितनी सामग्री लिखी जा सके उसे जैन धर्म में पूर्व की संज्ञा दी गई हैं । इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि पूर्व ग्रंथ कितने विशालकाय ग्रंथ थे ? इन में एक हाथी प्रमाण श्याही से लिखे गए ग्रंथ को प्रथम पूर्व कहा गया है । इसके उत्तरवर्ती पूर्व दुगुने दुगुने हाथियों की संख्या के वजन तुल्य श्याही से लिखित १४ पूर्व हैं । उन १४ पूर्यों के नाम तथा हाथियों का परिमाण निम्न प्रकार हैं : १४ पूर्वो के नाम
हाथियों की संख्या । १. उत्पाद पूर्व
१ हाथी के वजन तुल्य श्याही से २. अग्रायणीय पूर्व २ हाथियों के वजन तुल्य श्याही. से ३. वीर्यप्रवाद पूर्व
४ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से ४. अस्तिप्रवाद पूर्व
८ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से ५. ज्ञानप्रवाद पूर्व
१६ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से ६. सत्यप्रवाद पूर्व
३२ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से ७. आत्मप्रवाद पूर्व
६४ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से ८. कर्मप्रवाद पूर्व
१२८ हाथियों के वज़न तुल्य श्याही से ९. प्रत्याख्यानप्रवाद पूर्व २५६ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से १०.विद्याप्रवाद पूर्व
५१२ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से ११. कल्याण पूर्व
१०२४ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से १२. प्राणावाय पूर्व
२०४८ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से १३. क्रियाविशाल पूर्व ४०९६ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से १४. लोकबिन्दुसार पूर्व ८१९२ हाथियों के वजन तुल्य श्याही से कुल चौदह पूर्व १६३८३ हाथियों के वजन तुल्य स्याही से लिखें
गए विशालकाय ग्रंथ कहलाए ।