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हुए कहते हैं कि-'पुरुष एवेदं विश्वम्' -यह समस्त विश्व पुरुष (ईश्वर) रुप ही है ।
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यजुर्वेद में तैत्तिरीयोपनिषद में दूसरे अध्याय में लिखा है कि- 'तस्माद वा एतस्मादात्मनं आकाशः संभूतः, आकाशाद् वायुः, वायोरग्निः अग्नेशपः अद्भ्यः
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