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तूं ही सर्वत्र व्याप्त है । हे भगवन् ! युग के अंत में प्रलयकाल के समय तेरा रुप इतना विकराल और भयंकर हो जाता है कि - तेरे द्वारा विस्फारित भयावह मुख और उसमें रहे हुए दाँतादि इतने डरावने लगते हैं कि दशों ही दिशाएँ भी तुझे देखकर सुख-शांति प्राप्त न कर पायी बल्कि घबरा गई। हे जगत के निवास रुप ! ब्रह्मादि ईश्वरों के भी परमेश्वर रुप प्रभु ! मुझ पर प्रसन्न हो और इस सृष्टि में मेरे प्राप्त करने योग्य स्थान दिखाओ ।
इस प्रकार श्री कृष्ण ने अपना मुँह फाड़कर अपना जो विकराल रूप दिखाया और अर्जुन ने जो प्रलयकाल का रुप देखा उससे उसने व्याकुल बनकर घबराकर भगवान को प्रार्थना की कि हे प्रभु! मुझ पर आप प्रसन्न हों और मेरे करने योग्य कार्य की मुझे आज्ञा दो - दिखाओ इसके बाद श्री कृष्ण ने अर्जुन को मुँह में धृतराष्ट्र और उसके पुत्रों को परस्पर लड़ते हुए दिखाया - भीष्म और द्रोणादि को भी लड़ते हुए दिखाये | भगवान के मुँह में मानो साक्षात् प्रलयकाल का विकराल स्वरुप देखा हो इस प्रकार अर्जुन भयभीत हो गए । फिर श्री कृष्ण ने कहा - 'नाशाय विशन्ति' देखो! ये सब नाश के लिये ही तैयार हैं - मरने के लिये ही आए हैं तो फिर तूं किसकी प्रतिक्षा कर रहा है ? उठा तीर-धनुष और तूं क्या करता है ? तूं कहाँ मारनेवाला है ? यह सब तो मैं ही करता हूं, तूं क्यों अभिमान अपने सिर लेता है कि मैं करता हूँ, तूं तो कुछ भी नहीं है । यह सब मेरी ही लीला है । मेरे संकेतानुसार तुं तो नाचनेवाली मेरे हाथ की कठपुतली है । ऐसा कहकर श्री कृष्ण ने अर्जुन को उत्साहित करते हुए कहा
तस्मात्वमुत्तिष्ठ यथोलभस्वजित्वा शत्रून्मुङ :दव राज्यं समृद्धम् । यथैवेते निहताः पूर्वमेव निमित्त मात्रं भव सव्यसाचिन् ||३३|| हे अर्जुन ! उठ ! खड़ा हो, शत्रुओं पर विजयी बनकर यश प्राप्त कर और समृद्ध राज्य को भोग । तूं क्यों घबरा रहा है ? मेरे द्वारा ही ये सब को लीया जाता है, अर्थात् निश्चित् रुप से तो ये मार डाले गए हैं, प्राण रहित कर दिये गए हैं, तु तो निमित्रमात्र है । अतः निमित्त बन । युद्धभूमि में रण संग्राम में तूं आगे बढ़ और चढ़ा अपने धनुष पर तीर - इस प्रकार बार बार कहकर श्री कृष्ण ने अर्जुन के मन को प्रेरित किया और अन्त में अर्जुन महाभारत का युद्ध करने के लिये तैयार हुआ तथा एक के बाद एक को मारने की शुरुआत की । इच्छा न होने पर भी ईश्वरेच्छा को मान देकर अर्जुन युद्ध हेतु तैयार हुए । अर्जुन ने कौन सा युद्ध किया ? यही
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