________________
रहेगा। आसो मास की शाश्वती ओली की आराधना - चातुर्मास में आई आसो मास की शाश्वती नवपदजी की ओली की आराधना श्रीसंघ में काफी आनन्दोल्लास से हुई। आयंबिल की तपश्चर्या अनेक तपस्वीयों ने की। श्रीसंघ में जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव आदि काफी ठाठ से हुआ। श्री नवकार सम्मेलन का आयोजन - नौं दिवसीय नवकार सम्मेलन का एक अनूठा आयोजन किया गया था। बम्बई-अमदाबाद आदि से अनेक भाविक पधारे थे। नौं दिन तक तपश्चर्या, जाप-ध्यान-पूजा-पाठ आदि सह चले इस आयोजन में बम्बई आदि से रमणभाई सी. शाह आदि अनेक विद्वान पधारे थे। जिन्होंने श्री नमस्कार महामंत्र पर उद्बोधन किया था। पूज्य पंन्यासजी अरुण विजयजी म.सा. ने नवकार महामंत्र के रहस्य समझाए। और २ मास परिश्रम करके नवकार पर माननीय कई लेख लिखे हैं। तथा बाहर से पूज्यों एवं विद्वानों के भी लेखादि आए हैं। जिन्हें श्री लुणावा संघ स्मारिका के रूप में प्रकाशित कर रहा है। आगामी अल्पकाल में यह भी प्रकाशन वाचक वर्ग के कर कमलों में आएगा। श्री लुणावा संघ ने विशिष्ट लाभ लिया - गोडवाड के विविध संघों में एक समृद्ध संघ के रूप में लुणावा संघ की गणना होती है। महाराष्ट्र राज्य की लघु काशी रूप पुना नगरी के कात्रज घाट विस्तार की सुरम्य पहाड़ियों के बीच जहां ५० एकर की वीरालयम् की विशाल योजना साकार होने जा रही है। उसमें निर्माण हो रहे “श्री महावीर समवसरण ध्यान प्रासाद" के निर्माण में देवद्रव्य खाते में से सुयोग्य राशी पास करके प्रदान की है।
श्री जीवाभिगम और पन्नवणासूत्र जैसे प्राचीन आगम शास्त्र पुनः छपवाकर प्रकाशित करने की ज्ञान लाभ की योजना पूज्य पंन्यासजी श्री अरुण विजयजी म.सा. ने समझाई और संघ के आगेवानों ने सहर्ष करके ज्ञानखाते में से ३ लाख रुपए की राशी पास की। जिसका मुद्रण कार्य चल रहा है। श्री लुणावा संघ में हुए श्री नवकार सम्मेलन प्रसंग निमित्त पूज्य पंन्यासजी म.सा. ने नवकार महामंत्र पर अनेक पहलुओं से लेख लिखे। तथा बाहर से भी लेख आए। उनकी एक सुंदर स्मारिका प्रकाशित करने का आयोजन किया है।
पू. पंन्यास प्रवर श्री अरुण विजयजी गणिवर्य म.सा. ने लिखि हुई पुस्तक “श्री नमस्कार महामंत्र का अनुप्रेक्षात्मक विज्ञान" जिसमें नवकार के प्रथम पद “नमो अरिहन्ताणं” का विशद विवेचन है उसे भी श्री लुणावा जैन संघ ने ज्ञान खाते में से प्रकाशित कराने का निर्णय किया है। अतः प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी में तैयार होकर लोगों के कर कमलों में आ रही है। इस तरह श्री लुणावा जैन संघ ने ज्ञानवृद्धि आदि कार्यों में काफी अनुमोदनीय लाभ लिया है। अतः श्री लुणावा जैन संघ एवं श्री महावीर युवक मण्डल सविशेष अभिनन्दन एवं अनुमोदना के पात्र है। श्री महावीर युवक मण्डल के अनेक युवकों ने काफी अच्छा योगदान दिया और चातुर्मास आयोजन का बीडा मण्डल के सदस्यों ने अपने कंधे पर उठाकर उसे सफल बनाया। इस तरह धर्माराधनामय चातुर्मास का वातावरण बना रहा। कई प्रसंग एवं विविध आयोजन स्मरणीय बने रहे। गांव के अनेक भाग्यशालियों को अपनी मातृभूमि के गांव में पर्युषण तथा चातुर्मास की आराधना करने का संतोष हुआ। शासन देव से प्रार्थना करते हैं कि लुणावा की धर्मधरा पर हमेशा ही इस प्रकार की धर्माराधना होती रहे।
XIV