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में सिरनमणाइसु पढमं मस्तक नमाकर वन्दन किया जाता है । राजस्थान भाषा में साफा या पगडी जिसे कहते हैं, वही गुजराती भाषा में फेंटा कहलाता है, अतः
___ उस फेंटे को हटाकर जो वंदन किया जाता है उसे .. फेंटा वंदन - फिट्टावंदन कहते हैं । फेंटा, साफा
'पघड़ी अथवा हेट-टोपी आदि अहंभाव सूचक बडप्पन
सूचक साधन हैं । इन्हें सिर पर रखकर नमस्कार वंदनादि करने में दोष है । जिस प्रकार एक म्यान में दो तलवारें एक साथ नहीं रह सकती उसी प्रकार परस्पर विरूद्ध धर्म नमस्कार और अभिमान दोनों एक साथ कैसे रह सकते हैं ? संभव ही नहीं है। नमस्कार नम्रता सूचक है । यह नमोभाव का प्रदर्शन करता है । नमस्कार करते समय अहंकारसूचक साधन पास में रखना शोभा नहीं देता । स्वाभाविक है कि
दोनों में से एक की सत्ता प्रधान पद पर रहेगी ही । अतः फेटा-साफा-पगड़ी टोपी आदि साधन हटाकर फिर सिर झुकाकर. नमस्कार करना फेंटा वंदन - फिट्टावंदन कहलाता है । यहाँ क्रिया नमस्कार की और नाम वंदन का कहलाता है । . इसी अर्थ में 'मत्थएण वंदामि' कहलाता है । प्राकृत शब्द का संस्कृत
रुपान्तर 'मस्तकेन वंदामि' है अर्थात् मस्तक नमाकर वन्दन करता हूँ । इसमे मस्तक नमाने की क्रिया नमस्कार द्योतक है । मस्तक के द्वारा का अर्थ ही मस्तक नमाना करें । नमस्कार की क्रिया है, परन्तु समग्र क्रिया को वंदन में ले गए हैं - यह इस बात का सूचक है कि नमस्कार भी वंदनार्थक है और वंदन भी नमस्कारार्थक है । 'मत्थएण वंदामि' और सिरनमणाइसुं इन दोनों में रचना का भेद है । वैसे 'अर्थ दोनों का एक ही है।
(२) थोभवंदन - ‘खमासमण दुगि बीयं वंदन का दूसरा भेद थोभवंदन बताया गया है। यह थोभवंदन खमासमणपूर्वक होता है ।
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