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गुणस्थान पर आ जाय तो आयुबंध की प्रक्रिया पूरी होती है और गुणस्थान में परिवर्तन हो जाता है । ऐसी स्थिति में छठे गुणस्थान पर ही बांधे जानेवाले आयुष्य का आरोपण ७ वे गुणस्थान पर व्यवहार से किया जाता है।
किन किन गुणस्थान पर आयुष्य का बंध होता है इस विषय में कहते हैं कि- १ ले मिथ्यात्व के गुणस्थान पर आयुष्य कर्म बांध कर जीव आगे के भव में चारों गति में जा सकता है । २ दूसरे गुणस्थान सास्वादन का काल यद्यपि सिर्फ ६ आवलिका मात्र ही है फिर भी आयुष्य का नया बंध होना यहाँ भी संभव है । ३ रे मिश्र गुणस्थान पर आयु का बंध होता ही नहीं है । ४ थे, ५ वे, और छठे इन तीनों गुणस्थान पर आयुष्य कर्म का बंध होता है । ७ वे गुणस्थान की बात तो की है कि... छठे गुणस्थान से बांधता हुआ यहाँ आकर पूरा कर सकता है । बस, मुख्य रूप से आयुष्य कर्म का नया बंध सिर्फ छठे गुणस्थान तक ही है । औपचारिक रूप से ७ वे पर भी कहा जाता है । लेकिन आगे के ८, ९, १०, ११, १२, १३ और १४ वे गुणस्थान इन ७ गुणस्थानों पर तो आगामी भवयोग्य नया आयुष्य कर्म बांधता ही नहीं है। अतः सवाल ही खडा नहीं होता है। हाँ, यह हो सकता है कि पहले बांधा हुआ आयुष्य यहाँ आकर समाप्त करें । मृत्यु पाए । वह तो बात ऊपर लिखी ही है। गुणस्थान पर कम-ज्यादा संख्या
संसार में अनन्त जीव हैं। सभी जीव इन १४ गुणस्थानों में से किसी न किसी गुणस्थान पर तो होते ही हैं । जी हाँ,.. अनन्त जीवों में से अनन्त ही जीव १ ले मिथ्यात्व के गुणस्थान पर होते हैं । सिर्फ़ अनन्तवें भाग के ही जीव आगे के ४ थे, ५ वे, छट्टे आदि गुणस्थान पर रहते हैं । अतः संसार में अनन्तगुने मिथ्यात्वी जीव हैं उनकी तुलना में अनन्तवे भाग के ही जीव सम्यक्त्वी होते हैं। उन सभी सम्यक्त्वियों में से भी २% या ५% ही आगे के ५ वे गुणस्थान पर आगे बढकर व्रती-व्रतधारी बननेवाले होते हैं । और उनमें से भी मुश्किल से १% जीव आगे बढकर छठे गुणस्थान पर सर्वविरतिधर साधु बननेवाले होते हैं । साधु में मुश्किल से १% या २% ही अप्रमत्त बननेवाले अर्थात् ७ वे गुणस्थान पर पहुँचनेवाले होते हैं । फिर बाद में प्रश्न आता है श्रेणी का। श्रेणी चाहे दोनों में से कोई भी क्यों न हो लेकिन शायद करोडों अरबों में से मुश्किल से कोई १ हो। वह आज के वर्तमान काल में तो करोडों या अरबों में से १ भी संभव ही नहीं है । क्योंकि वर्तमान काल के कलियुग में श्रेणी का सर्वथा निषेध ही है । शास्त्र से सर्वथा वर्ण्य ही है।
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आध्यात्मिक विकास यात्रा