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________________ त्रिवेणी संगम का लक्ष्य साधने की आशा रखते हैं। ऐसे स्नातक देश - राष्ट्र-धर्म-समाज एवं परिवार को समृद्ध बना सकेंगे। एक विशाल संशोधन केन्द्र निर्माण करने की योजना है। प्राचीन आगमादि शास्त्रों पर संशोधन करके प्रकाशित करने का लक्ष्य है। साथ ही JAIN ENCYCLOPEDIA जैन विश्वकोष निर्माण करने की योजना है । अभ्यास क्रमानुसार पाठ्य पुस्तकें तैयार करना, छपवाना तथा विद्यार्थीयों को अभ्यास कराने एवं दूर दूर तक के जिज्ञासुओं को पत्राचार के पाठ्यक्रम से अभ्यास कराके उन्हें भी डीग्रियां प्राप्त करवाने का लक्ष्य है। - RESEARCH LIBRARY संशोधन योग्य ज्ञान मंदिर प्राचीन - अर्वाचीन हस्त लिखित स्व-पर धर्म-दर्शन के तथा विविध भाषाओं में उपलब्ध पुस्तक-ग्रन्थ- - शास्त्रादि विपुल साहित्य के संग्रह का एक सुंदर ज्ञान मंदिर का भवन करीब २०,००० स्क्वे.फू.का निर्माण करने की योजना है। जिसमें सेमिनार - कार्यशाला आदि के भी आयोजन होते रहेंगे। इस तरह यह संस्था INTERNATIONAL JAIN STUDY CENTRE बनेगा। ALTERNATE THERAPIES MEDICAL INSTITUTE & HOSPITAL वर्तमान काल में विश्वभर में अनेक प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां विकसी है। इनमें से निर्दोष प्रभावी पद्धतियों पर संशोधन करके उन्हें विकसाना | TEACHING, TRANING & TREETMENT CENTRE निर्माण करना, चलाना तथा जन सेवा करना । 'अच्छे चिकित्सक तैयार करना । शान्ति निकेतन :- चतुर्विध श्री संघ के साधु, साध्वी, श्रावक तथा श्राविकादि चारों वर्ग के वृद्ध वयस्कों की अन्तिम जीवन की सुविधा आराधना के लिए चार मकान तैयार करना । वडील सेवा सदन में इनकी सेवा करने की योजना है। गौशाला - पांजरापोल - चबुतरा पक्षी गृह :- कत्ल खाने जाते हुए गायबैलादि प्राणियों को बचाकर लाना, उनकी सेवा करना । गौशाला के अनेक शेड बनाकर गौमाता की रक्षा करनी । चबूतरा में कबूतरों के लिए १०८ घर बनाए हैं। इस तरह वीरालयम् जैन प्रणी रक्षा केन्द्र के अन्तर्गत जीवदया का कार्य करने की योजना है। - - : तीर्थंकर उद्यान २४ जिन के दीक्षा वृक्ष तथा केबलज्ञान प्राप्ति के अनेक वृक्षों को लगाते हुए तीर्थंकर उद्यान तैयार करने की योजना है । नक्षत्र वन बनेगा । सेंकडों प्रकार के औषधीय वृक्षों द्वारा यहां का पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। तथा प्राकृतिक सौंदर्य बढेगा। अनाथालयम् :- अनुकंपा के क्षेत्र में मानव धर्म की योजनान्तर्गत अनाथालयम् में अनाथ बालकों का संवर्धन किया जाएगा। निराधार अपंग, विकलांग, अंध, मूक, बधिरादि बालक - बालिकाओं के लिए सुंदर आश्रम बनाने की योजना है। उपाश्रय :- पू. साधु-साध्वीजीयों की साधना के लिए उपाश्रय बने हैं। अतिथिगृह एवं धर्मशाला :- यात्रिकों की सुविधा हेतु यात्रिकालयम् धर्मशाला बन रही है। इस तरह अनेकविध योजनाओं से वीरालयम् जैन तीर्थ का यह विराट संकुल धिरे - धिरे आकार लेगा । रजिस्टर ट्रस्ट को 80 G के अन्तर्गत करमाफी की सुविधा प्राप्त है। दानवीर दान दाताओं को दान देने में लाभ है। SHREE MAHAVEER RESEACH FOUNDATION के नाम से चेक / ड्राफ्ट देकर अवश्य आर्थिक सहयोग प्रदान करें ।
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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