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________________ हुआ। अतः हम विशेष भाग्यशाली हैं। हमारे श्री संघ के ज्ञानखाते में से एक हजार प्रतियाँ, तथा विभिन्न दान दाताओं के उदार सौजन्य से और एक हजार प्रतियाँ, तथा कलकत्ता निवासी जो इस ग्रन्थ निर्माण के मुख्य प्रेरक निमित्त हैं उनकी तरफ से ५०० प्रतियां, तथा बम्बई स्थित “श्री महावीर विद्यार्थी कल्याण केन्द्र" की तरफ से और ५०० प्रतियाँ छपवाई हैं । इस तरह कुल ३००० प्रतियाँ पाठकों तक पहुँचाने के श्रेय के भागीदार हम बने हैं। पूज्य पंन्यासजी गुरुदेव ने काफी प्रयत्नपूर्वक प्रवचन दिये तथा ग्रन्थ लिखकर दिया एवं पू. मुनि हेमन्तविजयजी म. ने, प्रूफ संशोधन किया। अतः इनका हम उपकार मानते हुए ऋणी रहेंगे। अक्कीपेठ में ही श्रीमान गौतमजी ने, तथा इम्प्रिन्ट्स् वाले श्रीमान अंशुमालिन् शहा ने सुंदर कम्पोज करके तथा सुन्दर मुद्रण करके दिया, दान दाताओं ने सुन्दर आर्थिक सहयोग प्रदान किया, इन. सबके हम आभारी हैं। विशेषरूप से व्यवस्था में सहयोग देनेवाले हमारे श्री संघ के उत्साही कार्यकर्ता श्रीमान शा. तेजराजजी, यशवन्तजी, सुभाषकुमारजी आदि ने विशेष सहयोग दिया। अतः इनके भी हम विशेष आभारी हैं। आशा है कि हिन्दी भाषी पाठक गण ऐसे सुन्दर तात्त्विक हिन्दी ग्रन्थ को पाकर आनन्दविभोर हो उठेगे और पढकर विशेष तत्त्व समझकर अपने जीवन की दिशा को मोड देंगे। सच्चे आराधक बनेंगे। बस इसी में हम निमित्त बनने का श्रेय प्राप्त करेंगे। अक्कीपेठ, बेंगलोर ३० नवंबर १९९५ .. श्री वासुपूज्य स्वामी जैन श्वे. मू. संघ . ट्रस्टी मंडल
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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