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कहाँ क्या है ? कैसा है ? ऊर्ध्व देव लोक में कहाँ क्या है?
तिर्खा लोक की समतला भूमि से ऊपर के ९०० योजन तक की तिर्थालोक की सीमा को छोडकर बाद में ऊपर ऊर्ध्व लोक शुरू होता है । जो लोकान्त तक गिना जाता है । वहाँ तक कुछ न्यून ऐसे ७ राज लोक होते हैं । ठीक इसके बीचो-बीच.. त्रस नाडी है। त्रस नाडी के अन्दर ऊपर से नीचे ७ राज लोक क्षेत्र में देवताओं के निवास स्थानविमान है । अतः इसे देवलोक कहते हैं । देवलोक का यहाँ क्षेत्र समग्र ब्रह्माण्ड का आधा क्षेत्र है । देवताओं के विमान है । विमान शब्द यहाँ पृथ्वीवाची है । अतः ऐसी विशाल पृथ्वियाँ है जहाँ सिर्फ स्वर्गस्थ देवताओं का ही वास है । जैसे इस धरती पर हम यहाँ पर मनुष्य रहते हैं । हमारे राज्य-जातियाँ समाज आदि सारी व्यवस्था है ठीक वैसे ही देवलोक में देवताओं का वास है । सिर्फ देवता ही वहाँ रहते हैं । उनके भी राज्य, राज्यसभा, जातियाँ, समाज-आदि सारी व्यवस्था है ।
- ऊपरी सात राज क्षेत्र में देवताओं की ४ जातियों में वैमानिक देवताओं का वास इस देवलोक में है । व्याख्या इस प्रकार दी गई है । विमाने भवा: वैमानिका:-जो विमान में उत्पन्न होते हैं, वहाँ रहते हैं, वे वैमानिक कहलाते हैं । अतः वैमानिक देवताओं के लिए वहाँ विमान (पृथ्वीयाँ) है । इसलिए इसे वैमानिक देवलोक भी कहते हैं । ये विमान इस प्रकार-इनके स्थान चित्र में दर्शाए अनुसार हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं१२ देवलोक
- सौधर्मेशान-सानत्कुमार-माहेन्द्र-बह्मलोकलान्तक-महाशुक्र-सहस्रारेष्वानत-प्राणतयोरारणाच्युतयोर्नवसु ग्रैवेयकेषु विजय-वैजयन्त-जयन्तापराजितेषु सर्वार्थसिद्धे च ।।
तत्त्वार्थ ४-२ वैमानिकाः ।। ४-१७, कल्पोपन्ना: कल्पातीताश्च ।। ४-१८, उपर्युपरि ।। ४-१९ ___ तत्त्वार्थाधिगम सूत्र के इन सूत्रों में कहा गया है कि.... वैमानिक देवता २ प्रकार के होते हैं।
वैमानिक देवता ___१. कल्पोपन्न देव .
२. कल्पातीत देव १. कल्प में ही उत्पन्न होने वाले देवताओं को कल्पोपन्न कहा है । कल्पोपन्न में १२ देवलोकों का समावेश है । उनके नाम इस प्रकार हैं- १) पहला–सौधर्म देवलोक, २)
जगत् का स्वरूप