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और साथ ही साथ अपने जीवन में उतारकर चरितार्थ करें । स्वयं अपनी आत्मा का विकास साधे । जन-जन में आध्यात्मिक भावना की जागृति लाएं । समस्त आत्माओं का कल्याण हो । बस, इस उद्देश्यपूर्ति से मुझे बडी खुशी होगी । मुझे सफलता प्राप्त होगी । मेरा यह भी नम्र निवेदन है कि... पुस्तक लेखन में कहीं भी त्रुटी रही हो, कहीं सुधार की आवश्यकता हो, तो विद्वान वर्ग जरूर सुझाव देने का रखें . . . यथासंभव सुधारणा होगी। सभी आध्यात्मिक विकास साधे इसी अन्तर अभिलाषा के साथ.....
भवदीय कलकत्ता
भंवरलाल बैद एडवोकेट