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किसी भी पदार्थों का अस्तित्व चार्वाक सर्वथा स्वीकारते ही नहीं हैं । अतः वे पक्के नास्तिक हैं । नास्तिक शब्द की व्याख्या सही अर्थ में यहाँ घटती है । परन्तु जैनदर्शन में नास्तिक शब्द की व्याख्या किसी भी स्थिति में घट ही नहीं सकती है। __क्या आपको नास्तिकवादी चार्वाक और संपूर्ण आस्तिकवादी जैन दोनों के सिद्धान्त एक जैसे-एक समान ही लगते हैं ? एक सर्वथा नहीं मानता है और दूसरे जैन संपूर्ण शुद्ध सत्यस्वरूप स्वीकारते हैं फिर ये दोनों एक, या एक जैसे एक समान कैसे हो सकते हैं ? आसमान-जमीन का इतना बडा अन्तर बीच में होते हुए भी दोनों को एक समान नास्तिक माननेवाला या वैसा कहनेवाला दुनिया का सबसे बड़ा मूर्ख गिना जाएगा। फिर भी ऐसा कहनेवाले हैं । जब चार्वाकों के साथ तुलना करने की दृष्टि से जैन दर्शन को नास्तिक सिद्ध नहीं कर सके तो अन्त में “नास्तिको वेदनिन्दकः” कहकर वेद के निन्दक–वेद की निंदा करनेवाले होने से जैन नास्तिक कहे जाते हैं । ऐसी वेदान्तियों ने बांग पुकारी है। है लेकिन ऐसे बुद्धिशाली वेदान्ती ने कभी यह क्यों नहीं सोचा कि नास्तिक और वेदनिन्दक इन दोनों में क्या मेल है? क्या संबंध है? क्या ये शब्द एक दूसरे के जन्या-जनक है ? या कार्यकारणभाव का संबंध है इनमें? क्या हाथी से चिंटी उत्पन्न हो सकती है ? या चिंटी से हाथी उत्पन्न होना संभव है ? कदापि नहीं । तो फिर... नास्तिक शब्द से वेदनिंदक सिद्ध कहना या वेदनिंदक से नास्तिक सिद्ध करना यह एक और प्रकार की अज्ञानता सिद्ध होगी। जो जगत् के सामने स्पष्ट दिखाई देती है। वेदनिंदक और नास्तिक ये परस्पर विपरीत विरुद्ध शब्द हैं । इन दोनों शब्दों में परस्पर किसी भी प्रकार का संबंध नहीं है । वेदनिंदक से नास्तिक का अर्थ या नास्तिक से वेदनिंदक का अर्थ कभी निकलता नहीं है । न तो कोई कोष ऐसा अर्थ बता रहा है और न ही कोई व्युत्पत्तिशास्त्र ऐसा अर्थ बता रहा है । यह मात्र वैदिकों की अपनी मनघडंत बात है । जो मात्र बैठा दी गई है । दार्शनिकों की गालीप्रदान पद्धति से ऐसा कह दिया जाता है ।
.. इस तरह के वैदिकों के उत्तर में कल जैन भी ऐसा कह सकते हैं कि- नास्तिको आगमनिंदकः जो सर्वज्ञप्रतिपादित आगमशास्त्रों के निंदक हो, विरोधी हो, वे नास्तिक कहलाते हैं । इस तरह वैदिक भी नास्तिक सिद्ध होंगे। जैनों के कहने से वैदिक नास्तिक और वैदिकों के कहने से जैन नास्तिक इस प्रकार की व्याख्याओं को सभ्य विद्वत् शिष्ट समाज क्या कभी स्वीकार करेगा? जी नहीं, कभी भी नहीं।
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आध्यात्मिक विकास यात्रा