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३) आत्मा स्वयं अपने कर्म का कर्ता है ऐसा मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं । ४) यदि कर्म का कर्ता मानने जाए तो कृत कर्म को भुगतने पडते हैं ऐसा सर्वथा नहीं मानता है । कर्म भोगने जरूरी नहीं हैं ।
५) आत्मा का मोक्ष कभी होता ही नहीं है । संभव ही नहीं है ।
६) और जब मोक्ष ही नहीं है तो फिर मोक्ष प्राप्ति के उपायरूप धर्म ही नहीं है ।
ये छः विकल्प मिथ्यात्व के हैं। ऐसी विचारसरणी मिथ्यात्वी की है । इन छः विकल्प के केन्द्र में मुख्य विषय एक मात्र आत्मा का है । सारा आधार आत्मा पर है। यदि आप आत्मा को मानें तो फिर आगे के दूसरे विषय मानने का प्रश्न खडा होता है । अन्यथा नहीं । मिथ्यात्वी सबसे पहले केन्द्र में आत्मा को मानने-जानने-समझने स्वीकारने के लिए सर्वथा तैयार ही नहीं है ।
सम्यक्त्व है या मिध्यात्वी की परीक्षा ? -
कौन सा व्यक्ती कैसा है ? कौन है ? श्रद्धाशील सम्यक्त्वी है या मिथ्यात्वी ? आस्तिक है या नास्तिक ? यह पहचान करनी हो तो उपरोक्त छः विकल्पों के प्रश्नों से परीक्षा बडी आसानी से की जा सकती है। इन छः प्रश्नों के बारे में किसका उत्तर कैसा रहता है ? क्या वह आत्मा कर्म और मोक्ष को मानने के लिए तैयार है ? यदि वह सामान्य श्रद्धा युक्त होगा तो निश्चित रूप से “हाँ” के रूप में उत्तर देगा। यदि नहीं मानता होगा तो “ना” के रूप में साफ कह देगा। इससे परीक्षा हो जाती है ।
व्यक्ती कौन है इसका कोई महत्व नहीं है । लेकिन वह कैसा है इसीका महत्व ज्यादा । इन ६ विकल्पों में मुख्य ३ विषय हैं। आत्मा, कर्म और मोक्ष । मात्र इन ३ को मानने से सम्यक्त्व नहीं आ जाता है । अतः साथ ही साथ दूसरे ३ जो आचारात्मक हैं, धर्मात्मक हैं उनका भी स्वीकार करना ही चाहिए। मैं भी मानता हूँ। शब्द मात्र से तो क्या वह सम्यक्दृष्टि हो गया? जी नहीं । ३ विकल्प अस्तित्व का सूचन करते हैं और अन्य ३ विकल्प उनके यथार्थ स्वरूप का स्वीकार करते हैं। मात्र आत्मा है या नहीं इतना ही मानने मात्र से नहीं चलता है । यदि है तो कैसी है ? नित्य या अनित्य ? यह सम्यग् स्वरूप भी मानना जरूरी है । इसी तरह कर्म है या नहीं ? आत्मा कर्म की कर्ता है या नहीं यह स्वरूप किस तरह मानता है? इसी तरह यही कर्म करनेवाली आत्मा फल भोक्ता भी स्वयं है या नहीं ? यह भी वास्तविक यथार्थ स्वरूप में माननेवाला सम्यक्त्वी और न माननेवाला मिथ्यात्वी कहलाएगा । इसी तरह मोक्ष के विषय में भी सोचना चाहिए । मोक्ष मानता है
आध्यात्मिक विकास यात्रा
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