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________________ संख्या का अर्थघटन कुछ और ही करने का प्रयत्न करेंगे। और संख्या को तोड़-मरोड कर अपनी अल्प बुद्धि के अनुरूप भी बनाने की बालिश कोशिश करेंगे। लेकिन शास्त्रकार महर्षियों ने सिर्फ करोंडों की ही संख्या नहीं दी है लाख और हजार की संख्या भी दी है। वह इस प्रकार है नारद ऋषी ९१००००० की संख्या में मुनियों के साथ मोक्ष गए हैं। भरत महाराजा के पुत्र आदित्ययशा ___ १ लाख की संख्या में मुनियों के साथ मोक्ष गए हैं। वसुदेव की स्त्रियाँ ३५ हजार की संख्या में मोक्ष में गई हैं। . दमितारी मुनि १४००० की संख्या में मोक्ष में गए हैं। अजितनाथ भगवान के १०००० साधु शत्रुजय पर से मोक्ष में गए हैं। बाहुबलीजी १००८ श्रमणों के साथ शत्रुजय पर से मोक्ष में गए हैं। थावच्चा पुत्र १००० श्रमणों के साथ शत्रुजय पर से मोक्ष में गए हैं। शुक परिव्राजक (शुकाचार्य) ___ १००० श्रमणों के साथ शत्रुजय पर से मोक्ष में गए हैं। भरत चक्रवर्ती १००० श्रमणों के साथ शत्रुजय पर से मोक्ष में गए हैं। कालिक मुनि १००० श्रमणों के साथ शत्रुजय पर से मोक्ष में गए हैं। संप्रति जिन के थावच्चा गणधर १००० श्रमणों के साथ शत्रुजय पर से मोक्ष में गए हैं। सुभद्रमुनि अपने ७०० मुनियों के साथ शत्रुजय पर से मोक्ष में गए हैं। नमि विद्याधरकी पुत्री चर्या प्रमुख ६४ के साथ मोक्ष में गए हैं। इतना ही नहीं जो स्वतंत्र अलग-अलग अकेले भी मोक्ष में गये हैं उनमें भी अनेक महात्मा हैं । दैवकी के ६ पुत्र, जाली, मयाली, उवयाली, मंडक मुनि, सुकोशल मुनि, अइमत्ता मुनि आदि अनेक मोक्ष में गए हैं। संख्या की दृष्टि से विचार करने पर करोड-लाख, हजार-सेंकडा एवं सौ तथा दशक की संख्या में भी जितने मोक्ष में गए हैं उन सबके भी नाम यहाँ हैं । अतः किसी भी संख्या को शंकावृत्ति से असत्य-गलत ठहराना यह उचित नहीं लगता है। संसार
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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