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________________ ३०३ प्रकार के कुल मनुष्य जीव देवगत १९८ प्रकार के कुल देव जीव MIII Ella ||ll alll=||INE = lll = ||ll== || EDIIEI 에서 ४८ प्रकार के कल तिर्यंच जीत ति ये च ग ति ४८ प्रकार के कुल नारकी जीव १) मनुष्य गति में कुल प्रकार के सभी जीव- ३०३ भेद २) तिर्यंच गति में कुल प्रकार के सभी जीव-४८ भेद ३) नरक गति में गति में कुल प्रकार के सभी जीव- २२+६+१० = ३८ भेद ४) देवगति में गति में कुल प्रकार के सभी जीव- ९९+९९ = १९८ भेद । चारों गति में कुलमिलाकर ५६३ प्रकार के जीव होते हैं। इस संसार में जीवों के ५६३ जन्मजन्य प्रकार हैं । इतने प्रकार के अलग-अलग जीव हैं । यह जीवों की संख्या नहीं है । जन्मगत जाती की भिन्नता के प्रकार हैं। वैसे शास्त्रों में अनेक दृष्टि से जीवों का विचार किया गया है। एगविह-दुविह-तिविहा, चउब्विहा पंच-छविहा जीवा। चेयण-तसइयरेहिं वेय-गई, करण-काएहिं॥ एक प्रकार से, दो प्रकार से, तीन प्रकार से, चार प्रकार से, पाँच प्रकार से, छह प्रकार से, संसार के सभी जीवों का विचार किया गया है । एक प्रकार से विचार करने पर समस्त जीव चेतन आत्मा है । इसमें सभी का समावेश हो गया, दो प्रकार से विचार करने पर त्रस १६६ आध्यात्मिक विकास यात्रा
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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