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________________ आराधना-अनुष्ठानों की शृंखला चातुर्मास काल धर्माराधना, अनुष्ठानों, एवं तपश्चर्याओं के लिए विशेषरूप से लाभ दायक रहता है। पूज्यश्री के आगमन के साथ ही श्री संघ में अनेक प्रकार की आराधनाओं-तपश्चर्याओं एवं अनुष्ठानों के विशेष आयोजन श्री संघ ने किये। (१) श्री नमस्कार महामंत्र की आराधना नौं दिन तक एकासपे की तपश्चर्या- जापादि के साथ प्रारम्भ हुई। जिसमें करीब ४०० से ५०० भाग्यशाली तपश्चर्या कर रहे थे। नौं भाग्यशालियों ने नकरे में एकासणे कराने का लाभ लिया। ___ (२) श्री वीशस्थानक महापूजन के साथ सामूहिक ४०० उपवास पूर्वक श्री वीशस्थानक महातप की आराधना का आयोजन एक दिन बडा ही अनोखा रहा। यह आराधना करके अनेक पुण्यात्माओं ने जीवन में वीशस्थानक तप की ओली प्रारंभ की। __ (३) श्री ऋषिमण्डल महापूजन की एक साथ सामूहिक आराधना सकल संघ में कराई गई और प्रत्येक आराधक को ऋषिमण्डल स्तोत्र की लघु पुस्तिका भेट दी गई। जिससे अनेकों के घरों में हमेशा के लिए ऋषिमण्डल स्तोत्र का नित्य पाठ के रूप में काफी अच्छी शुरुआत हुई। इसी तरह सभी आराधकों को वीशस्थानक विधि की पुस्तिका भी भेंट दी गई। ___ (४)श्री सिद्धचक्र महापूजन सह सामूहिक रूप से एक दिन में सभी पदों के आयंबिल की तपश्चर्या का विशेष आयोजन किया गया था। कल्याणकों की आराधना, विविध प्रकार के आयंबिलों की तपश्चर्या आदि का विशेष आयोजन अनेक बार श्री संघ में आयोजित किया गया था। चन्दनबाला के सामूहिक अट्ठम श्री संघ में सामूहिक रूप से आयोजित चन्दनबाला के अट्ठम की तपश्चर्या में करीब १२५ की संख्या में बालिकाएँ तथा बहनें जुडी थी । “चन्दनबका" की नृत्य नाटिका का अनोखा आयोजन किया गया था। श्री लब्धिसूरी जैन संगीत मण्डल ने संगीत की धुन के साथ सुन्दर नाटक प्रस्तुत किया। पूज्य गुरुदेव ने चन्दनबाला के ऐतिहासिक कथानक का मर्म समझाया । और श्रीमान जवानमलजी ने कोमेन्ट्री के साथ गीतगान किया । बोले गए चढावों का लाभ लेकर पात्र बनकर स्टेजपर अभिनय करके अनेक भाग्यशालियों ने लाभ लिया। संघ के साधारण खाते में काफी अच्छी आवक हुई। 11
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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