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२ सुपुत्रों का शासन समर्पण समारोह
राजस्थान के सिरोही जिल्ले के सिरोडी गाँव के मूलवतनी और वर्षों से बेंगलोर में स्थायी पोरवाल जातिय श्रेष्ठिवर्य श्रीमान शा. बाबुलालजी मूलचंदजी परमार जैन परिवार के सुपुत्र धर्मप्रेमी आराधक श्री मणिभद्र मेडिकल स्टोर्स चलाते हुए दवाइयों के व्यापार कुशल श्रेष्ठवर्य श्रीमान शा. सागरमलजी परमार तथा उनकी धर्मपत्नी श्राविका श्रीम भाग्यवंतीदेवी दोनों दंपति ने अपने २ सुपुत्रों को उदार भाव से पूज्य गुरुदेव को वहोराने का संकल्प किया । ९ । वर्ष के कल्पेशकुमार तथा ११ वर्ष के धीरजकुमार को दि. १२ अप्रैल १९९४ चैत्र सुदि द्वि. १ वि. सं. २०४९ के शुभ मुहूर्त के दिन शुभ योग में उनके निवास स्थान एम. आर. लेन अक्कीपेट के विशाल प्रांगण में आयोजित समर्पण समारोह में अपनी स्वेच्छा से भावना पूर्वक पूज्य विद्वद्वर्य गुरुदेव पंन्यासप्रवर श्री अरुणविजयजी म.सा. के करकमलों में सकल संघ की उपस्थिति में अर्पण किया—वहोराया । इस अर्पण समारंभ में गमगिनी छा गई। धीरज - कल्पेश दोनों बालकों ने सुन्दर भाषण से समस्त जनता की आँखे भिनी कर दी । पूज्य गुरुदेव श्री के अद्भुत संबोधन से समस्त जनता को दृढ विश्वास हुआ, कि पूज्यश्री इन मासूम बालकों को पढा लिखाकर भविष्य में महान बनाएंगे । मद्रास वेपेरी संघ के अध्यक्ष, धार्मिक शिक्षक सुरेन्द्रभाई शाह, जवानमलजी, अक्कीपेठ के ट्रस्टीगण, एवं बालकों के माता-पिता आदि के उद्गार सचमुच हृदय को छूनेवाले थे । शासन के चरणों में समर्पण का एक अनोखा और अद्भुत समारंभ हुआ । श्रीमान सागरमलजी परमार ने सकल संघ की साधर्मिक भक्ति की । दोनों मासूम बच्चे गुरुदेव के साथ विहार एवं अभ्यास कर रहे हैं । करीब २००० किलोमीटर का विहार किया है । धार्मिक अभ्यास एवं व्यवहारिक शिक्षा का भी अभ्यास कर रहें हैं ।
भव्य चातुर्मास प्रवेश
पू. साधु-संतों का योग सकल संघ के लिए ज्ञान-आराधना आदि के लिए काफी उपयोगी एवं उपकारी सिद्ध होता है । ज्ञानी - ध्यानी त्यागी तपस्वी साधु संतो के सत्संग-संत समागमं अनेकों के जीवन में अनेक प्रकार का परिवर्तन लाती है । वि.सं. २०५० के अषाढ सुदि ५, १३ जुलाई के शुभ मुहूर्त में पू. गुरुदेवों का भव्य चातुर्मास प्रवेश हुआ । नगरथपेठ के हस्ति बिल्डर्स की जगह से स्वागत सामैया प्रारंभ हुआ । बेंगलोर शहर के अनेक युवकों के सेवा मण्डल, महिला मण्डलों ने, जैन बालकों-युवकों के बैण्डमण्डल ने शासन की शोभा में अभिवृद्धि की । श्री वासुपूज्यस्वामी जैन सेवा मण्डल (अक्कीपेठ) ने सुन्दर व्यवस्था संभाली । नगरथपेठ, चिकपेठ, सुलतानपेठ, पोलीस
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