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२० कोडाकोडी सागरोपम ऐसे अनन्त कालचक्र
कालचक्र का स्वरूप
३
४
१ कालचक्र
=
- १ पुद्गल परावर्तकाल
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६ ६
ऐसे ४ प्रकार के पुद्गलपरावर्त होते हैं
१. द्रव्यं पुद्गल परावर्त
२.
क्षेत्र पुद्गल परावर्त ३. काल पुद्गल परावर्त ४. भाव पुद्गल परावर्त
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जगत् का स्वरूप
३
४
ऐसा पुद्गल परावर्त काल भूतकाल में अनन्त बीत गए । और भविष्य में भी अनन्त
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बीतेंगे । ये सब मिलाकर काल के लिए अन्तिम शब्द का प्रयोग करने के लिए एक शब्द है ‘अनन्त' । अतः अनन्त काल बीत चुका है भूतकाल में। और आगे भविष्य में भी अनन्त काल बीतेगा।
इस काल की गणना से यह स्पष्ट होता है कि.. पंचास्तिकाय यह ब्रह्माण्ड समस्त लोक–अलोक अनादि-अनन्तं काल तक नित्य शाश्वत हैं । अनुत्पन्न - अविनाशी है । ऐसे नित्य - शाश्वत् संसार में भी कहीं कहीं क्षेत्र विशेष के आधार पर काल की परिवर्तना के आधार पर कई भाव परिवर्तनशील हैं ।
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