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________________ पल्योपम का स्वरूप कितने वर्षों का एक पल्योपम होता है ? इसके उत्तर में शास्त्रकार महापुरुषों ने असंख्य वर्षों का एक पल्योपम होता है ऐसा बताया है, परन्तु असंख्य वर्षों की गणना कैसे की जाय ? या असंख्य वर्ष बराबर कितने वर्ष होते हैं ? इसे समझने के लिए शास्त्रों में एक कुए का दृष्टांत है जो १ योजन लम्बा, १ योजन चौड़ा एवं १ योजन गहरा हो । उसमें तुरन्त के जन्मे हुए नवजात युगलिक शिशु के सिर के बालों को इकट्ठा करके, उनके बारीक टुकड़े करें कि जिसके पुनः टुकड़े हो ही न सकें। इतने टुकड़ों को इस कुएं में इतने दबादबा कर भरें कि जिसमें खूब दबाने के बाद एक बाल भी जा न सके । इस पर से चक्रवर्ती की चतुरंगी सेना चली जाय तो भी उन्हें कुएँ का ख्याल ही न आए । इतना कुएं का जमीन के समकक्ष लेवल बन जाय । इस कुएं में से सौ-सौ (१००-१००) वर्ष के अन्तर से एक-एक बाल का टुकड़ा निकालने पर वह कुआ जितने वर्षों में खाली हो, उस काल को १ पल्योपम कहते हैं । इसका बादर पल्योपम नाम है । उन बाल के टुकड़ों के फिर असंख्य छोटे-छोटे टुकड़े करके वही कुआ भरा नाय और उन सूक्ष्मतम बाल के टुकड़ों को पुनः (१००-१००) सौ-सौ वर्ष के अन्तर से निकालते हुए जितने वर्षों में पूरा कुआ बाली हो, उतने असंख्य वर्षों का एक पल्योपम होता है । इसे सूक्ष्म अद्धा-पल्योपम काल कहते हैं । इस प्रकार जैन दर्शन की काल गणना में भिन्न-भिन्न ६ प्रकार के पल्योपम बताए गए हैं। पल्योपम बादर अद्धा पस्योपम । सूक्ष्मअदा 'बादर उद्धार : सूक्ष्म उद्धार बादरक्षेत्र सूक्ष्मक्षेत्र पल्योपम पल्योपम पल्योपम पल्योपम पल्योपम कर्म की गति न्यारी
SR No.002481
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherJain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha
Publication Year
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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