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सिद्ध करता है कि ईश्वर ने सृष्टि निर्माण की है ऐसा लगता नहीं है। क्योंकि ईश्वर के विपरीत भी सृष्टि निर्माण हो गई है।
यहां क्या समझा जाय ? ईश्वर अपनी स्व इच्छा से सृष्टि निर्माण करने वाला और वही क्या अनिष्ट सृष्टि निर्माण करेगा ? नहीं। लेकिन अनिष्ट सृष्टि है तो सही। फिर यह भूल कैसे हो गई ? अरेरे... · ! भगवान में भूल दिखाना अर्थात् सूर्य में अंधेरा दिखाने जैसो मूर्खता है । जो भगवान होते हैं वे भूल नहीं करते पोर जो भूल करते हैं वे भगवान नहीं कहलाते । भगवान' और भूल दोनों ही परस्पर विरोधी पदार्थ हैं। जैसे पूर्व-पश्चिम दोनों विरोधी दिशाएं, एक तरफ एक साथ नहीं रह सकती वैसे ही भगवान और भूल दोनों तत्त्व एक साथ नहीं हो सकते। इसीलिए भगवान भूल से ऊपर उठे हुए रहते हैं । अभी-अभी संसार में आप देख रहे हैं जो भगवान बन कर भारत से भाग गया था और भारत वापिस अ.या है चूंकि बेचारे को दुनिया में किसी ने पैर रखने भी नहीं दिया । क्यों नहीं पैर रखने दिया ? क्योंकि तथाकथित बेचारा विवादास्पद भगवान बन बैठा है अतः उसकी भोग लीला सभी जानते हैं। भोग लीला भी पाप लीला बन चुकी है। अच्छा हुआ कि बेचारे को सद्बुद्धि सूझी कि कहा अब मुझे कोई भगवान मत कहना। अब उसे भगवान कहनेवाले को ही वह खुद बेवकूफ कहता है। भूल करता हुमा भगवान बन नहीं सकता यह इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
अनुग्रह-निग्रह समर्थ ईश्वर
"अनुग्रह-निग्रह समर्थो ईश्वरः” ऐसा ईश्वर के विषय में वेद में कहा गया है। यदि ईश्वर चाहे तो किसी पर कृपा करे और यदि न चाहे तो ईश्वर किसी का नाश भी कर दे। यह दोनों सामर्थ्य ईश्वर में है ऐसा वेद कहता है । जगत्कर्तृत्ववादी ईश्वर बिषयक धर्मशास्त्र कहते हैं । चूकि इच्छा तत्व के पराधीन ईश्वर है इसलिए ईश्वर चाहे वैसा कर सकता है। यह सब चाहना-इच्छा के ऊपर निर्भर है । अतः अनुग्रहात्मक और निग्रहात्मक दोनों प्रकार की इच्छा ईश्वर में सन्निहित है। परन्तु यह पता नहीं कि कब कौनसी इच्छा काम करेगी ? जीवन भर पापाचार में लिप्त रहने वाला अजामिल भी ईश्वर की कृपा से अन्ततः मोक्ष में चला जाता है। यदि ईश्वर ऐसों पर कृपा करता है निष्पाप दीन बेगरे कई संसार में पडे हैं उन पर क्यों कृपा नहीं कर देता ? चूकि ईश्वर दयालु और करुणालु है तो ईश्वर में अनुग्रह की ही बहुलता रहनी चाहिए। दयालु कृपालु-करुणालु बनकर भी ईश्वर निग्रहकर्ता कैसे बन सकता है ? यह तो कितना बड़ा आश्चर्य है। शीतल चन्द्र सूर्य से भी तेज आग का गोला बन गया। यह ईश्वर की ऐसी विडंबना क्यों की गई है। दयालु
कर्म की गति न्यारी
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