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________________ स्थिति ने पल्टा खाया । दो युवान बेटे मौत के मुंह में चले गए। आजीविका का आधार टूट गया। आयु वृद्धावस्था के पार पहुंच गई थी। घर में खाने पीने की समस्या खड़ी होने लगी थी । अतः पत्नि ने कहा कि अब तो वह पारसमणि निकालो, कुछ सोना बनालो । बाजार में बेचो, अनाज खरीद कर लाएं। जिससे आजीविका तो चले । पत्नि की बात पर गौर से सोचा। बात सही थी। वृद्ध ने अपनी पत्ति से कहा तुम थोड़े लोहे के टुकड़े इकट्ठे कर लाओ । मैं पारसमणि निकालता हूं । स्पर्श करके सोना बना लेंगे। ५०-६० साल से जान से भी ज्यादा जिसे संभालकर रखी थी वह पारसमणि उस वृद्ध ने अपने सीने पर बंधी कपड़े की पट्टी खोलकर निकाली । वृद्ध बेचारा बड़ा प्रसन्न था। हां आखिर गरीब के लिए तो १-१ पैसा आशा की किरण है। पाश्चर्य इस बात का था कि पारसमणि समझकर वर्षों से अपने पास संभाल कर रखी। परन्तु कभी भी सोना बनाकर भी देखा नहीं था । चू कि आज से ही यदि बनाने लग जाऊंगा तो बेटे सोना देखकर प्रमादी बन जायेंगे : कोई भी कमाएगा नहीं। अतः जरूरत पड़ेगी तब बना लेंगे । इस हेतु से संभालकर रखी । आज सोना बनाने की परिस्थिति आ गई है ऐसा समझकर सोना बनाने घर के अन्दर के एक कमरे में बैठा । पत्नि लोहे के टुकड़े ले आई। घर बन्द करके अन्दर के कमरे में वृद्ध ने पारसमणि निकाली और लोहे के टुकड़े को स्पर्श किया। हाय अफसोस कि कुछ भी नहीं हुआ। सोना नहीं बना । वृद्ध हैरान हो गया । पारसमणि लोहे के टुकड़े पर रगड़ने लगा। खूब जोर से घिसने लगा। वेचारा पसीना-पसीना हो गया। "नाच न जाने आंगन टेढा" की बात पत्नि के सामने बनाने की सोची तो सही परन्तु पेट भरने के लिए जब कुछ भी नहीं है, खाने की समस्या है वहां बहाना किसके सामने बनाऊं ? बेचारा वृद्ध सिर पटक कर रोने लगा, चिल्लाने लगा। अब शंका हुई की मैंने जिसे पारसमणि समझा था वह सचमुच पारसमणि है कि सामान्य पत्थर मात्र है ? पारसमणि होती तो सोना क्यों नहीं बनता है। पारसमणि की सत्यता की पहचान ही लोहे को सोना बनाने में है। अब क्या करें ? पत्नी ने व्यंग किया-तो आपने ५०-६० वर्ष जान से भी ज्यादा संभालकर रखी तो क्या सीने पर पत्थर बांध कर रखा था । लोगों के सामने छिपाने कर्म की गति न्यारी
SR No.002478
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 02 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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