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(१४) मन के लिए ग्रहण योग्य महावर्गणा ।
(१५) मन और कर्म के लिए अग्रहण योग्य महावर्गणा ।
(१६) कर्म के लिए ग्रहण योग्य महावर्गणा ।
इस तरह ये १६ महावर्गणाएं है । इनमें ग्रहण योग्य वर्गणाएं आठ प्रकार की है | तथा अग्रहण योग्य वर्गणाएं भी आठ प्रकार की है । इसीलिए 5 + 5 = १६ बताई गई है । इनमें ग्रहण योग्य वर्गणाओं का विशेष विचार करें। चौदह राजलोक परिमित इस लोक में सर्वत्र प्रसरी हुई अर्थात् काजल की डिब्बी में ठूंसकर भरी हो इस तरह इस ब्रह्माण्ड में ये वर्गणाएं ठूंस-ठूंस कर भरी हुई है । एक सूई प्रवेश करा सकें इतनी भी जगह श्रनन्त ब्रह्माण्ड में भी खाली नहीं है । ऐसी प्रमुख ८ वर्गणा का चित्र इस प्रकार है ।
અષ્ટ મહાવણા
૧.
૨
3
୪
५
G
ઔદારિક વૈક્રિય આહાણ્ડ તૈજસ ફાણ શ્વાસોચ્છવાસ ભાષા મન
આત્મા
(शुद्धिकरण - कृपया चित्र में पूवें क्रम पर मन तथा ८वें क्रम पर कार्मण समझें )
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वर्गणाओं का कार्यक्षेत्र
चित्र में दर्शाएं अनुसार समस्त लोक में ठूंस-ठूंस कर भरी हुई ये पुद्गल कर्म की गति न्यारी
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