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है कि-"पिताजी का स्वर्गवास हुआ है।" उसी तरह पुत्र की मृत्यु के पीछे पिता भी “पुत्र का स्वर्गवास ही लिखते हैं। उसी तरह पुत्री की, पत्नी की, पति की, दादा-दादी की, भाई-भाभी की, किसी की भी मृत्यु के पीछे स्वर्गवास ही लिखा जाता है। तो क्या सभी मरकर स्वर्ग में ही जाते होंगे ? क्या कोई नरक में, तिर्यंच गति में जाता ही नहीं होगा ? जबकि शास्त्रकार महर्षि तो कहते हैं कि जीव चारों गति में जाता है । अपने-अपने किए हुए कर्मानुसार 'जीव उस-उस गति में जाता है तो क्या सभी के माता-पिता-भाई-बहन आदि सभी सम्बन्धियों ने अच्छे शुभ पुण्य कार्य ही किये हैं ? किसी ने भी कोई खराब पाप कार्य किया ही नहीं है ? जो कि सभी स्वर्ग में ही जाते हैं । नरकादि अन्य गति में कोई जाता ही नहीं है। और यदि जाता होता तो कोई किसी की मृत्यु के पीछे नरकवास या तिर्यंचवास लिखते । लेकिन आज दिन तक तो ऐसा नरकवास आदि शब्द किसी ने लिखा हो यह देखा नहीं गया। अतः क्या समझना ?
कोइ कहता है कि जीव कहां गया इसका हमको पता नहीं चलता। हम कोइ ज्ञानी तो हैं नहीं। अतः नरकवास या तिर्यंचवास कैसे लिखें ? बात तो सही है। परन्तु मैं पूछता हूं कि जब ज्ञानी नहीं है, पता नहीं चलता है, अत: नरकवास या तियंचवास नहीं लिखते तो फिर स्वर्गवास लिखना क्यों प्रारम्भ कर दिया है ? क्या जीव स्वर्ग में जाता है यह पता प्रापको लग गया ? क्या आपको एक ही सिर्फ स्वर्ग जाने का ही पता लगता है ? आज तो मानों स्वर्गवास लिखने का प्रचलित व्यवहार हो गया है। आए दिन अक्सर सभी स्वर्गवास ही लिखते हैं। तो क्या सभी मरने वाले स्वर्ग में ही जाते होंगे ? अन्य गति में कोइ जाता ही नहीं है ?
__ अच्छा अपने अपने पिता की मृत्यु के पीछे “मेरे पिताजी का स्वर्गवास हो गया है" इस तरह से पत्र लिख कर सभी सगे-सम्बन्धी-रिश्तेदारों को डाले । लोक व्यवहार से आपके पत्र का प्रत्युत्तर तो सामने वाला लिखता ही है। उसने पत्र में क्या लिखा ? उसके शब्द ध्यान से पढना । मैनें भी पढ़ा है। सामने वाले ने पत्र में लिखा कि "प्रापका पत्र मिला........... आपके पिताजी का स्वर्गवास हुआ यह जान कर बहुत दुःख हुआ है। वास्तव में बहुत बुरा हुआ .............."अरेरे ! आपके पिताजी का स्वर्गवास हो गया............."यह बहुत ही खराब हुआ है ।" ये और ऐसे शब्द सामने वाले अक्सर लिखते हैं। आप इन शब्दों पर अच्छी तरह से ध्यान दीजिए। मेरा यह कहना है कि जब आपने स्वर्गवास हुआ ऐसा अच्छा शब्द लिखा है फिर भी सामने वाला बहुत खराब हुअा,"......"बूरा हुआ ऐसा क्यों लिखता है ? क्या आपके पिता का जो स्वर्ग में वास हुअा है उसमें उसे विश्वास नहीं है ? या
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कर्म की गति न्यारी