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________________ श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र विहाणाफए य एवमादी) पाठीन नामका मत्स्य, तिमि-बड़ामत्स्य, तिमिगल नामक महामत्स्य, विविध प्रकार की छोटी मछलियाँ, अनेक जाति के मेंढक, दो प्रकार के कछुए, नकचक्र नाम के जलजंतु, दो प्रकार के मगर, मूढ़सढ नामक मत्स्य, ग्राह (घड़ियाल), पूंछ से लपेट लेने वाले दिलिवेष्टक नामक ग्राह, मंदुक, सीमाकार, और पुलक ये पाँचों ग्राह-विशेष के भेद, सुसुमार नामक जलचर जन्तु इत्यादि ये और ऐसे बहुत से प्रकार के जलचर जीवों का प्राणवध करते हैं, जिनके अनेक भेद बताए हैं । तथा (कुरंग-रुरु-सरभ-चमर-संबर-उरभ-ससय-पसय-गोण-रोहिय-हय-गय-खरकरभ-खग्गी-वानर-गवय-विग-सियाल - कोल - मज्जार - कोलसुणग-सिरियगदलगावत्तकोंकतिय-मिय-महिस-वियग्घ-छगल-दीविय-साण - तरच्छ-अच्छ - भल्ल - सहल-सीहचिल्लल-चउप्पयविहाणा कए य एवमादी) कुरंग-हिरण, रुरु जाति का मृग, अष्टापद नाम के लोकप्रिसिद्ध जंगली पशु, चमरी गाय, सांभर, भेड़, खरगोश, प्रशय नामक दो खुरों वाले जंगली जानवर, बैल , रोहित नामक चौपाया जानवर, घोड़ा, हाथी, गधा, ऊँट, गेंडा, बंदर, रोज नामक जंगली गाय-गवय, भेड़िया, गीदड़, चूहे की सो आकृति वाला कोल नामक जन्तु, बिलाव, बड़ा सूअर, श्रीकंदल तथा आवर्त्त नामक एक-खुरवाले पशु, रात में कों को करने वाला कोंकतिक नामक जानवर, दो खुरवाला गोकर्ण नाम का पशुविशेष, मृग, भैंसा, बाघ, बकरा, चीता, कुत्ता, बिज्जू-जरख, रीछ, भालू, शार्दूल, (बब्बरशेर), सिंह, चिल्लल नामक वन्य जन्तुविशेष, ये और ऐसे सब चतुष्पद जीवों के अनेक प्रकार होते हैं, जिनके प्रकार । पहले बता चुके हैं। ये सब चौपाये जानवरों के भेद हैं। इस प्रकार चौपाये जानवरों की पूर्वोक्त क्रूर लोग हिंसा करते हैं (य) तथा (अयगरगोणसवराह-मालि काओदर-दन्भ-पुप्फ-आसालिय-महोरगोरगविहाणकए य एवमादी) अजगर, बिना फन वाले सर्प, दृष्टि-विष सर्प, परड़ (काकोदर) नामक सांप, दर्वोकर सर्प या वर्भपुष्प नामक सर्प, आसालिक नामक बड़े सर्प, महोरग (बहुत बड़े सर्प), ये सब पेट के बल गति करने वाले उरःपरिसर्प हैं, जिनके अनेक प्रकार बतलाए गए हैं। इन पेट और भुजा के बल पर रेंग कर या सरक कर चलने वाले सर्प जाति के विशिष्ट जन्तुओं का प्राणवध वे क्रूर लोग करते हैं। तथा (छारल-सरंब-सेह-सल्लग-गोधा-उंदर-णउलसरड-जाहग-मंगुस-खाडहिल-चाउप्पाइया छिरोलिया-सिरिसिवगणे एवमादी) भुजाओं से चलने वाले क्षारल, सरम्ब, सेहला–जिसके शरीर पर चारों ओर कांटे होते हैं, जो गोल और काला होता है, शल्यक (सीसोलिया), गोह, चूहा, नेवला, गिरगिट, केंकड़ा, कांटों से आवृत शरीर वाला जाहक, छछुदर, गिलहरी, वातोत्पत्तिक या चार पैरों से चलने वाले चातुष्पदिक भुजपरिसर्प जन्तु जो भुजा से सरक कर चलते हैं, छिपकली इत्यादि ये और इन जैसे अनेक भुजपरिसर्प जीवों का प्राणवध वे क्रूरकर्मा करते हैं। तथा (कादंबक-बक-बलाका-सारस-आडा-सेतीय-कुलल-वंजुल-पारिप्पव-कीर
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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