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अत्ताणे, असरणे, अणाहे, अबंधवे, अकुसलपरिणाममंदबुद्धिजणदुव्विजाणए,
बन्द,
अणलाणिलतणवणस्सइ
पुढविसंसिए, जलमए, जलगए, गणनिस्सिए य तम्मयतज्जिए चैव तदाहारे, तप्परिणयवण्णगंधरसफासबोंदिरूवे अचक्खुसे चक्खुसे य तसकाइए असंखे, थावरकाए य सुहुम-बायर-पत्तेय सरीरनामसाधारणे अणते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहिं विविहेहि कारणेहिकि ते ?
करिसण- पोक्खरिणी-वावि- वप्पिणि कूव-सर-तलाग- चितिवेदिया- खातिया ( खाइयं) - आराम विहारं थूम-पागार-दारगोउर-अट्टालग-चरिया - सेउ संकम पासाय- विकप्प-भवण-घरसरण - लयण - आवण - चेइय- देवकुल- चित्तसभा-पवा-आयतणावसह - भूमिघर - मंडवाण य कए भायणभंडोवगरणस्स विविहस्स अट्टाए पुढवि हिति मंदबुद्धिया ।
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
कम्मनिगल
पुढविमए,
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जलं च मज्जणय - पाण-भोयण-वत्थधोवण-सोयमा दिएहि । पयण-पयावण जलावण - विदंसणेहि अगणि ।
सुप्प - वियण-तालयंट- परिथुनक-हुणमुह ( पेहुणमुह ) - करयलसग्ग (साग) पत्त-वत्थ एवमादिएहि अणिलं ।
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अगार - परिया ( वाडिया ) र - भक्ख - भोयण-सयणासणफलक - मुसल - उखल - तत विततातोज्ज - वहण वाहण - मंडवविविह भवण- तोरण- विडंग - देवकुल - जालयद्धचंद - निज्जूहगचंदसालिय- वेतिय- णिस्सेणि- दोणि चंगेरी खील- मंडक ( मेढग ) - सभा-पवा-वसह-गंध-मल्लाणुलेवरणंबर - जुय - नंगल ( मे ) मइयकुलिय- संदण सीया-रह-सगड - जाण जोग्ग-अट्टालग - चरिअ-दारगोपुर - फलिह (हा ) - जंतसूलिय (या) - लउड - मुसंढि ( मुसु ढि) - सयग्घी - बहुपहरणा - वरणुवक्खराण कए, अण्णेहिं य एवमाइए
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