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________________ प्रथम अध्ययन : हिंसा-आश्रव ४६ छारल - सरंब-सेह-सल्लग- गोधा-उंदर-णउल-सरड-जाहगमंगुस-खाडहिल-चउप्पाइया-घिरोलिया-सिरीसिवगणे य एवमादी। ___कादंबक - बक-बलाका - सारस - आडा - सेतीय - कुललवंजुल - पारिप्पव - कीर - सउण - दीविय - ( पीपीलिय ) हंस-धत्तरिट्ठ-पवभास-कुलीकोस-कोंच-दगड-ढ णियालग-सूयीमुहकविल-पिंगल (पिंगलक्खग) - काग-कारंडग-चक्कवाग-उक्कोसगरुल-पिंगुल-सुय-बरहिण-मयणसाल-नंदीमुह - नंदमाणग - कोरंगभिंगारग-कोणालग-जीवजीवक-तित्तिर-वट्टग-लावग- कपिजलककवोतक-पारेवयग-चडग-ढिंक-कुक्कुडय - मसर (वेसर) - मयूरगचउरग-हयपोंडरिय-करक - चीरल्ल (वीरल्ल) - सेण - वायस (वायसय)-विहग-(विहंग) (सेण -सिण )-भिणासि-चास-वगुलिचम्मट्ठिल-विततपक्खी - समुग्गपक्खी-खहयर - विहाणा कए य एवमादी। जल-थल - खगचारिणो उ (य) पंचेंदिए पसुगणे बियतिय-चउरिदिए विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडिकूले वराए हणंति बहुसंकिलिट्टकम्मा । . इमेहि विविहेहिं कारणेहिं, किं ते ? चम्म-वसा-मंस-मेयसोणिय-जग - फिप्फिस - मत्थुलुग - हिययंतपित्त - फोफसं-दंतढा, अट्ठिमिज-नह-नयण-कण्णण्हारुणि-नक्क-धमणि-सिंग-दाढि पिच्छविस-विसाण-वालहेउं हिंसंति य । ___ भमरमधुकरिगणे रसेसु गिद्धा, तहेव तेइंदिए सरीरोवकरणट्ट्याए किवणे, बेइंदिए बहवे वत्थोहरपरिमंडणट्ठा । अण्णेहिं य एवमाइएहिं बहूहि कारणसतेहिं अबुहा इह हिंसंति तसे पाणे इमे य एगिदिए बहवे वराए तस्से य. अण्णे तदस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभ ति ।
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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