________________
-
तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर की २५ वीं निर्वाण शताब्दी के आयोजन चल रहे हैं । अनेक साहित्यिक प्रकाशन हुए हैं, और हो रहे हैं । यह विराट प्रकाशन भी उसी श्रृंखला की एक अमूल्य भेंट है । गतवर्ष साध्वीरत्न दर्शनाचार्य श्री चंदना जी द्वारा संपादित उत्तराध्ययन सूत्र का ज्ञानपीठ से प्रकाशन हुआ था, जिसका प्रबुद्ध विचारकों एवं पाठकों ने हार्दिक स्वागत किया है । आशा है, यह प्रकाशन भी तदनुसार ही विद्वज्जगत में समादृत होगा ।
प्रकाशन बहुत शीघ्रता में हुआ है । विद्युत्संकट से मुद्रण आदि की व्यवस्था में भी काफी अवरोध हुआ है । अतः अपेक्षित सौन्दर्य हम नहीं साध पाये । फिर भी जो है, वह सुन्दर है । एतदर्थ हम श्री विष्णु प्रिंटिंग प्रेस के स्वामी श्री रामनारायन मेड़तवाल के आभारी हैं ।
।
- सोनाराम जैन मंत्री: सन्मति ज्ञानपीठ