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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र प्रशान्त हो (च) और (आसीणसुहनिसणे) सुखपूर्वक बैठा-बैठा (मुहुत्तमेत्त) एक मुहूर्तभर ( माणसुहजोगनाणसज्झायगोवियमणे ) धर्मध्यान, शुभयोग, ज्ञान और स्वाध्याय में अपने मन को सुरक्षित करने वाला हो, (धम्ममणे) श्रुत चारित्ररूप धर्म में जिसका मन संलग्न है, (अविमणे) चित्तशून्यता से रहित, (सुहमणे) संक्लेशों से रहित--शुभ मनवाला, (अविग्गहमणे) जिसके चित्त में कोई कलह की बात नहीं है अथवा कदाग्रह से जिसका मन दूर है, (समाहियमणे) जिसका रागद्वेष से रहित सम मन आत्मा में निहित है, अथवा जिसका मन समाधियुक्त है, अथवा जिसने अपना मन उपशम में स्थापित कर लिया है, और (सद्धा-संवेग-निज्जरमणे) जिसने अपना मन तत्त्वों पर श्रद्धा, संवेग-मोक्ष मार्ग की अभिलाषा और कर्मों की निर्जरा में लगा दिया है, (पवयणवच्छलभावियमणे) जिसका मन प्रवचनों-आगमों के प्रति वात्सल्य से ओतप्रोत है, वह (उ8ऊण) ध्यानादि के बाद अपने आसन से उठ कर (य) तथा (पहठ्ठतुळे) अत्यन्त हृष्टतुष्ट हो कर, (जहारायणियं) साधुओं की दीक्षा के क्रम से बड़े-छोटे के क्रमानुसार (साहवे) साधुओं को (भावओ) भाव से (निमंतइत्ता) निमंत्रित करके (च) और (गुरुजणेणं) गुरुजनों द्वारा (विइण्णे) लाये हुए आहार का वितरण किये जाने पर (उपविठे) उचित आसन पर बैठ कर, (ससीसं) सिर के सहित (कार्य) शरीर को (तहा) तथा (करतलं) हथेली को,(संपमज्जिऊण) पूजनी से अच्छी तरह प्रमार्जन करके (अमुच्छिए अगिद्ध अगढिए), गुरुजन द्वारा दिये हुए सरस आहार में अनासक्त, अप्राप्त स्वादिष्ट भोजन की लालसा से रहित, रसों में अनुरागरहित होकर (अगरहिए) दाता आदि को निन्दा न करता हुआ, (अणज्झोववण्णे) स्वाविष्ट वस्तुओं में लीन न हो कर, (अणाइले) कलुषित भावों से दूर होकर, (अलुर) लोलुपता से रहित (अणतट्टिते) केवल शरीरपोषक ही नहीं, किन्तु परमार्थकारी साधु (असुरसुरं) सुर् सुर् आवाज न करता हुआ (अचवचवं) चपचप न करता हुआ (अदुतं) न तो जल्दी-जल्दी हो, और (अविलंबियं) न ज्यादा देर से ही (अपरिसाडि) भोजन जमीन पर न गिराते हुए, (आलोयभाजणे) चौड़े प्रकाशयुक्त पात्र में (जयं) मन-वचन-काया की यतनापूर्वक (पयत्तण) आदरपूर्वक (ववगयजोगं) संयोजनादोष से रहित, (अणिंगालं) अंगार-रागभाव के दोष से रहित, (विगयधूम) धूम-द्वेषभाव के दोष से रहित, (अक्खोवंजणवणाणुलेवणभूयं) गाड़ी की धुरी में तेल देने या घाव पर मरहम लगाने के समान (संजमजायामायानिमित्त) केवल संयमयात्रा के निर्वाह के लिए (संजमभारवहणट्ठयाए) संयम के भार को वहन करने के लिए (पाणधारणठ्याए) प्राणों को धारण करने के लिए (संजए)