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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र मांडलिक राजाओं एवं उत्तरकुरु-देवकुरु के मनुष्यों को विभूति
अब शास्त्रकार मांडलिक नरेन्द्रों और उत्तरकुरु-देवकुरुक्षेत्र के भोगसम्पन्न मनुष्यों के ऐश्वर्य वैभव और कामभोगों के साधनों का निरूपण करते हए, अन्त में उनकी भी अतृप्ति का प्रतिपादन करते हैं
मूलपाठ भुज्जो मंडलियनरवरेंदा, सबला, सअंतेउरा, सपरिसा, सपुरोहियाऽऽमच्च-दण्डनायक - सेणावति-मंतनीतिकुसला, नाणामणिरयणविपुलधणधण्णसंचयनिहीसमिद्धकोसा, रज्जसिरिं विपुलमणुभवित्ता, विक्कोसंता, बलेण मत्ता, तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितित्ता कामाणं ।
. भुज्जो उत्तरकुरु-देवकुरुवणविवरपादचारिणो नरगणा भोगुतमा, भोगलक्खणधरा, भोगसस्सिरिया, पसत्थसोमपडिपुण्णरूवदरिसणिज्जा, सुजातसव्वंगसुदरंगा, रत्तुप्पलपत्तकंतकरचरणकोमलतला, सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा,' अणुपुव्वसुसंहयंगुलीया, उन्नयतणुतंबनिद्धनखा, संठितसुसिलिट्ठगूढगोंफा, एणीकुरुविंदवत्तवट्टाणुपुग्विजंघा, समुग्गनिसग्गगूढजाणू, वरवारणमत्ततुल्लविक्कमविलसिय (विलासित)गती, वरतुरगसुजायगुज्झदेसा, आइन्नहयव्व निरुवलेवा, पमुइयंवरतुरगसीह - अतिरेगवट्टियकडी, गंगावत्तदाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणबोहियविकोसायंत - पम्हगंभीरविगडनाभी, संहितसोणंदमुसल-दप्पणनिगरियवरकणगच्छरुसरिसवरवइरवलियमज्झा, उज्जुगसमसहिय-जच्चतणुकसिणणिद्धआदेज्जलडहसूमालमउयरोमराई,झसविहगसुजातपीणकुच्छी,झसोदरा,पम्हविगडनाभी(भा),संनतपासा', संगयपासा,सुदरपासा, सुजातपासा, मितमाइयपीणरइयपासा, अकरंडुयकणगरुयगनिम्मलसुजायनिरुवहय
१ 'अणुपुव्विसुजायपीवरंगुलिका' पाठ भी मिलती है। २ 'संततपासा' पाठ भी कहीं कहीं मिलता है ।
-संपादक