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________________ ३४८ श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र कुडल, हाथी, उत्तम बैल, द्वीप, मेरुपर्वत या गृह, गरुड़, ध्वजा, इन्द्रकेतु ( इंद्रयष्टि) दर्पण, चौपड़ या शतरंज का फलक या पट, अथवा कैलाश पर्वत, धनुष, बाण, नक्षत्र, मेघ, मेखला - करधनी, वीणा, बैल के कंधों पर रखा जाने वाला जुवा, छत्र, फूलों की माला, दामिनी ( लक्षण विशेष ), कमंडलु, घंटा, उत्तम जहाज, सूई, समुद्र, कुमुदपुष्पों का वन मगर, रत्नों का हार, गागर नामक आभूषण अथवा गागर - घड़ा, नूपुर, पर्वत नगर, वज्र, किन्नर (वाद्यविशेष या देवविशेष), मयूर, राजहंस, सारस, चकोर और चक्रवाक का जोड़ा, चंवर, ढाल, पव्वीसक (एक बाजा), सप्ततंत्री वीणा, श्रेष्ठ पंखा, लक्ष्मी का अभिषेक, पृथ्वी, तलवार, अंकुश, निर्मल कलश, झारी, सकोरा या प्याला, श्रेष्ठ पुरुषों के इन मंगलकारक विभिन्न उत्तम लक्षणों को जो धारण करते हैं, तथा बत्तीस हजार मुकुटबद्ध राजा जिनके मार्ग का अनुसरण करते हैं, चौसठ हजार सर्वागसुंदर युवतियों के नेत्रों को जो प्यारे हैं, जिनके शरीर की कान्ति लाल है, जो कमल के गर्भ - मध्यभाग, कोरंट (हजारा) के फूलों की माला, चम्पा के फूल, कसौटी पर खींची हुई तप्त शुद्ध सोने की रेखा के समान गोरे रंग के हैं, जिनका रंगरूप अच्छा है, जिनके शरीर के सभी अंग सुगठित हैं। बड़े-बड़े नगरों में चतुर शिल्पकलाचार्यों द्वारा अच्छे तरीके से बनाए गये रंग-बिरंगे हिरनी या उच्च जाति की हिरनी की चमड़ी के समान कोमल अथवा उक्त हिरनियों के चमड़ों से ही बने हुए वस्त्र, दुकूल नामक वृक्ष की छाल को कूट कर उसका सूत कात कर बुने हुए, या पेड़ की छाल से बने हुए या कपास के वस्त्र, चीन देश के बने हुए पट्टवस्त्र, रेशमी वस्त्र, कटिसूत्र ( करधनी) से उनका शरीर सुशोभित हो रहा है । मनोज्ञ सुगंध वाले इत्र आदि द्रव्यों से तथा खुशबूदार चूर्ण (पाउडर) की सुवास से तथा उत्तमोत्तम फूलों से जिनके सिर भरे हुए हैं, प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा बनाई हुई सुन्दर सुखप्रद माला, कड़े, बाजूबन्द, अनंत आदि सुंदर आभूषण शरीर पर धारण किये हुए हैं, जिन्होंने एकलड़ी की विचित्र मणियों की माला कंठ और वक्षस्थल पर धारण कर रखी है, जिन्होंने लंबी धोती और लम्बे लटकते हुए दुपट्टे पहन रखे हैं, अंगूठियों से जिनकी उंगलियाँ पीली दिखाई दे रही हैं, जो उजली, चमकती हुई और अच्छी तरह सजीधजी वेशभूषा से सुशोभित हो रहे हैं । तेज से जो सूर्य के समान चमक रहे
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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