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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
इसका निरूपण किया है। अब आगे अन्य गतियों में चोरी के क्या-क्या फल भोगने पड़ते हैं ? इसका निरूपण करते हैं
__ मूलपाठ तत्थेव मया अकामका, बंधिऊण पादेसु कड्ढिया खाइयाए छूढा, तत्थ य विग-सुणग-सियाल - कोल - मज्जार-वंद (चंड)संदंसगतुडपक्खिगण-विविहमुहसयलविलुत्तगत्ता, केइ. किमिणा य कुहियदेहा, अणिट्ठवयणेहिं सप्पमाणा-'सुट्ठ कयं, जं मउत्ति पावो' तुट्ठणं जणेण हम्ममाणा, लज्जावणका च होंति सयणस्स वि य दीहकालं मया संता। पुणो परलोगसमावन्ना नरए गच्छंति निरभिरामे अंगारपलित्तककप्प-अच्चत्थसीतवेदण - अस्साउदिन्नसयतदुक्खसयसमभिद्दुते, ततो वि उवट्टिया समाणा पुणोवि पवज्जति तिरियजोणि, तहिं पि निरयोवमं अणुहवंति वेयणं ते अणंतकालेण, जति नाम कहिंवि मणुयभावं लभंति णेगेहिं णिरयगतिगमण-तिरियभवसयसहस्सपरियट्टेहिं ।
तत्थ वि य भमंतऽणारिया नीचकुलसमुप्पणा आरियजणेवि लोकबज्झा तिरिक्खभूता य अकुसला कामभोगतिसिया जहिं निबंधंति निरयवत्तणिभवप्पवंचकरणपणोल्लिया पुणो वि संसारावत्तणेममूले धम्मसुतिविवज्जिया अणज्जा कूरा मिच्छत्तसुतिपवन्ना य होंति एगंतदंडरुइणो वेढेता कोसिकाकारकीडोव्व अप्पगं अट्ठकम्मतंतुघणबंधणेणं एवं नरग-तिरिय-नर-अमरगमणपेरंतचक्कवालं जम्मजरामरण-करणगंभीरदुक्खपक्खुभियपउरसलिलं, संजोगविओगवीचीचिंतापसंगपसरिय-वहबंधमहल्लविपुलकल्लोल - कलुणविलवितलोभकलकलितबोलबहुलं, अवमाणणफेणं, तिव्वखिसणपुलंपुलप्पभूयरोगवेयण-पराभवविणिवातफरुसघरिसणसमावड़िय - कठिणकम्म-पत्थरतरंगरंगंतनिच्चमच्चु