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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
इसके बजाय वह न्यायनीति से श्रम करके या कोई आजीविका करके अपना जीवन संतोष, शान्ति और सुख के साथ बिताना पसंद करेगा । भला, चोरों की जिंदगी भी कोई जिंदगी है, जिसमें न तो सुख से वह खा-पी सकता है, न सुख से नींद ले सकता है; न आमोदप्रमोद या मनोरंजन कर सकता है ! चोर की जिंदगी में न तो कोई सामाजिक प्रतिष्ठा है ; न मानसिक शान्ति है, न धार्मिक जीवन का आनन्द है और न ही आध्यात्मिक जीवन की स्फूर्ति है ! वन्य पशु से भी गयाबीता और खतरनाक जीवन है यह ! रातदिन पकड़ें जाने, दंड मिलने, इज्जत जाने और पीटे जाने की आशंका से चोर बेचैन रहता है ! मनुष्यजीवन पा कर चोरी का धंधा करने वाले अपनी जिंदगी को खतरे, भय, आशंका और अधर्म में डाल कर निष्फल बना डालते हैं । मनुष्यजीवन की प्राप्ति से वे कोई भी लाभ वर्तमान या भविष्य के लिए नहीं उठा पाते । मनुष्यजीवन जैसा देवदुर्लभ उच्च जीवन मिलने पर भी उसे चोरी जैसे पापकर्म में बिता कर पिछली सारी कमाई का फल धो दिया जाता है, सारा ही 'कातापींजा पुनः कपास परलोक में अपने साथ पाप की गठरी के सिवाय चोर और इस लोक में भी चोरी करने वाले दुष्कर्मी जन किसी अच्छे वातावरण से, अच्छे धार्मिक पुरुषों की संगति से, धर्मपोषक साहित्य के पठन-पाठन से और जीवन के शुद्ध और स्वस्थ चिन्तन से प्रायः दूर ही रहते हैं । परलोक में भी उन्हें पापानुबन्धी पाप के फलस्वरूप वैसा ही खराब वातावरण, बुरी संगति, बुरा खानपान, बुरा ही साहित्य और खराब ही चिन्तन मिलता है । क्योंकि इस लोक में इतनी भयंकर सजा पाने के बावजूद भी उनकी लेश्याएँ, उनकी परिणामधाराएँ और उनके चिन्तन की धुरा नहीं बदलती । तब परलोक में भी ये बातें कैसे बदल सकती हैं ?
कर दिया जाता है । कुछ भी नहीं ले जाता
।
'एवमादीओ वेयणाओ पावा किन-किन भयंकर बंधनों और कुशलता से शास्त्रकार
प्रकार हैं- काठ का
खोड़ा भी कहते हैं ;
'विवि बंधणेह, कि ते ? हडिनिगड पावेंति' - चोरी करने के आदी बने हुए अपराधी को यातनाओं में से गुजरना पड़ता है; इसका निरूपण बड़ी
ने किया है । वे बन्धन और उनसे होने वाली यातनाएँ इस
हैं,
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भी कहते दोनों पांव
बना हुआ एक बन्धन विशेष जिसे हड़ी या हाड़ी उसके बीच में जो छेद होते हैं, उनमें कैदी के फंसा कर उसके ताला लगा दिया जाता है । इस बंधन से कैदी कहीं भी चल-फिर या उठ बैठ नहीं सकता । लोहे की बेड़ियाँ पैरों में डाली जाती हैं, जिनके कारण कैदी स्वतंत्रतापूर्वक कहीं ज़ा आ नहीं सकता | बालों की बनी हुई मजबूत रस्सी से कैदी के हाथ-पैर आदि कस कर बांध दिये जाते हैं । यह रस्सी शरीर में चुभती है, जिससे शरीर पर चिह्न पड़ जाते हैं । 'कुदंड' काठ का एक मोटा डंडा होता है; जिसके सिरे पर रस्सी का