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तृतीय अध्ययन : अदत्तादान - आश्रव
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मनुष्यगण पुनः उन सरकारी नौकरों के हवाले किये जाते हैं, जो वध - ( मारनेपीटने के ) शास्त्र को पढ़ने-पढ़ाने वाले हैं, अन्याययुक्त दुष्ट कर्म करने वाले हैं, सैकड़ों रिश्वतें लेने के आदी हैं, जो झूठा तौलने - नापने, वेश और भाषा को बदलने, झूठ- फरेब करने, धोखा देने, धूर्तता करने, अपने मायाजाल को छिपाने के लिए और माया करने, ठगी करने या गुप्तचर सम्बन्धी चालाकी में अत्यन्त प्रवीण होते हैं, वे अनेक प्रकार के सैकड़ों झूठ बोलने वाले, परलोक की परवाह न करने वाले तथा नरकगति के मेहमान बनने वाले हैं । जिन्हें प्राणदंड की सज़ा सुनाई गई हैं, वे चोर उन्हीं राजकर्मचारियों द्वारा शीघ्र ही नगर में सिंघाड़े के आकार वाले त्रिकोण स्थान में, जहां तीन गलियाँ या बाजार मिलते हैं वहाँ; अथवा जहां चार गलियाँ या बाजार मिलते हैं, वहां (चौक में), चारों ओर दरवाजे वाले चौमुखे देवमन्दिर आदि पर या राजमार्ग (चौड़ी आम सड़क) पर या साधारण रास्ते पर सरेआम जाहिर में ला कर खड़े किए जाते हैं । और बेंतों, डंडों, लाठियों, लकड़ी, ढेले, पत्थरों, सिर तक लम्बे लट्ठों, घोड़े आदि को पीटने की पैनियों, मुक्कों, लातों, पैरों, एड़ियों, घुटनों और कुहनियों के प्रहार से उनका शरीर जर्जरित और घायल कर दिया जाता है । अठारह प्रकार के चौर्य कर्म यानी चोरी करने के कारणों से उनके अंग-अंग को अत्यन्त यातनाएं दी जाती हैं । उन दयनीय अपराधियों के ओठ, गला, तालु और जीभ सूख जाते हैं, उन्हें जीने की आशा नहीं रहती, प्यास के मारे सताये हुए वे बेचारे उन सिपाहियों से पानी मांगते हैं । लेकिन पानी नहीं पाते । बल्कि वध ( उनको मृत्युदंड देने) के लिए नियुक्त किए गये पुरुष उन्हें धकेल देते हैं । अत्यन्त कर्कश ढोल बजाते हुए चलने के लिए उन्हें पीछे से धकेला जाता है । मृत्युदंड देने के पहले अत्यन्त क्रोध से आगबबूला हुए जल्लादों (राजपुरुषों) द्वारा मजबूती से वे पकड़े जाते हैं । वध्य से सम्बन्धित खास वस्त्र का जोड़ा पहने हुए, लाल कनेर के खिले फूलों से गूंथी हुई वध्यदूत की तरह वध्य व्यक्ति को सूचित करने वाली फूलमाला को वे गले में पहने होते हैं । उनके शरीर मौत के डर से पैदा हुए अधिक पसीने की चिकनाई से चिकने हो जाते हैं, पीसे हुए कोयले वगैरह के काले रंग से उनके शरीर पोत दिये जाते हैं, हवा से उड़-उड़ कर आई हुई धूल से उनके बाल भर जाते हैं । उनके सिर के बाल कुसुम्भे के लाल रंग से लाल कर दिये जाते हैं, अब उन्हें अपने जीने की कोई आशा नहीं रहती, भय से विह्वल हो कर वे