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परिशिष्ट १ | ३०५
उदीरणा १७८, १८०
कर्मों के बन्ध के कारण १६८ उपभोग परिभोग परिमाणवत २६३, कर्मबन्ध का क्रम १६७
कर्मो के क्रम का रहस्य १७३ उपभोग परिभोगाइरत्ते २६८ कर्मबन्ध की प्रक्रिया और कारण १६६ उपभोगान्तराय १७३
कर्मों के अनुभाव १७७-१७८ उपभोग्य-परिभोग्य पदार्थ (२६ पदार्थ) कर्मों की उत्तर प्रकृतियां १७४ २६४-२६५
कर्मों की दस अवस्थाएं १७८ उपशम १७८, १८०
कर्मों का फल विपाक १७५ उपशमक १६०
कर्मों की स्थिति १७४, १७५ उपशान्तमोह १६०
कर्मवर्गणा १५५, १६३ उपासकदशांग सूत्र ४५
कर्मवाद १०५, १०६, १०६, ११०, उमास्वाति ८
१४४-१८१, १८२, २४६ ऊर्ध्वगति १९४, १९७
कर्मवाद २४६ ऊर्ध्वगतिशील (जीव का लक्षण) ८७-८८ कर्मभूमिक क्षेत्र १३१, १४२ ऊर्ध्वदिशा परिमाणातिक्रम २६३ कर्मादान (पन्द्रह) २६६ ऊध्वंलोक १२६
कल्याणफलविपाक १७७ ऋषभदेव १७
कषाय १८२, १८६ ऋजुसूत्र नय २८३, २८५, २८७ कामभोगतीवभिलाषा २६० एक-अनेक २३६
कामभोगाशंस प्रयोग २७३ एकत्व प्रत्यभिज्ञान २७७, २७८ वाय दुष्प्रणिधान २६६ एकत्ववितर्कनिर्विचार १८७, १८८ कारण-कार्यवाद १४६ एकान्तवाद २६१
कारुण्य ४, ५, ६ ऐरावत (क्षेत्र) १३१, १९८
कार्मण वर्गणा १५४, १६३, १७४, १७५ एवंभूत नय २८६, २८७
काल (पंच समवाय में) १६८ कठोपनिषद ११८
काल ६१, १५०, २०३, २०४, २०५, कन्दर्प २६७ .
२०६, २०८, २०६, २१९, २२८ कन्यालीक २५७
कालगणना तालिका २२७-२२८ ।। कर्म १४४, १४५, १५०, १५३, १५४, कालचक्र २२८ १५५, १५६, १५७, १५८, १५६, १६०, कालद्रव्य २१७, २२६ १६१, १६२, १६३, १६४, १६५, १६६ कालद्रव्य (उपकार) २३१ १६७, १६८, १८१, १८२, १८३, १८६, काललोक १२५, १२६, १३५ ।। १६०, १६१, १६२, १६३
कालवाद १४७ कर्मपरमाणु १५५, १७५, १८२, १६० कालशुद्धि २६८ कम-पुद्गल १५६, १६३
कालाणु २१८ कर्मबन्ध १६२, १६३, १८३
कालातिक्रम २७२