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अभिमत
जैन तत्वदान बहुत ही युक्ति पुरस्सर और सत्य पर सम्पूर्ण आधारित चिन्तन है। आज की वैज्ञानिक कसोटी पर भी इसके अनेक सिद्धान्त सत्य सिद्ध हो चुके हैं। आज से लगभग ५० वर्ष पूर्व जैनधर्म दिवाकर जैन आगम रत्नाकर आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज ने जैन तव्व ज्ञान पर एक अधिकृत ग्रन्थ लिखा था, जिस एक ही ग्रन्थ में जैन धर्म, आचार, दर्शन और विभिन्न सिद्धान्तों का सुन्दर सप्रमाण विवेचन किया गया है। यह ग्रन्थ जैनों के लिए तो उपयोगी है ही किन्तु अर्जुन विद्वानों व जिज्ञासुओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। नवयुग सुधारक भण्डारी श्री पदमचन्द जी महाराज की प्रेरणा से उनके विद्वान शिष्य श्री अमर मुनि जी ने इसका नव सम्पादन कर इसे सर्वजन-सुलभ व युगीन परिवेश में प्रस्तुत कर ज्ञान एवं गुरु की महान सेवा की है।
(राष्ट्रसन्त) -आचार्य आनन्द ऋषि
आज के युग में जैन धर्म एवं दर्शन पर अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित हो रहे हैं, आज ज्ञान-रुचि बढ़ रही है, किन्तु हमारे अमण संघ के प्रथम आचार्य, श्रुत-सागर के पारगामी विद्वान आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज ने आज से ५० वर्ष पूर्वं इतना गहन वं व्यापक ग्रन्थ लिख कर सचमुच ही एक विलक्षण व चिरस्मरणीय कार्य किया था। । प्रवचनभूषण श्री अमर मुनि जी ने इस ग्रन्थ राज को
नवीन भाषा-ट्रॉली में पुन: सम्पादित कर जैन साहित्य की स्मरणीय सेवा की है, मैं आशा करता हूं यह ग्रन्थ सभी के लिए मार्ग दर्शक अध्यापक का कार्य करेगा।
-उपाध्याय पुष्कर मुनि