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अमर दीप
त्कृष्ट साधक संसार के जन्म-मरणादि समस्त दुःखों और क्लेशों से मुक्त हो जाता है। मानव-जीवन का अन्तिम लक्ष्य : सिद्धि
अर्हतर्षि नारद के कहने का फलितार्थ यह है कि जिसके लिए मानव जीवन मिला है, उस अन्तिम लक्ष्य की सिद्धि श्रोतव्य-श्रवणानुरूप आचरण से प्राप्त होती है। याद रखिये आपको मानव-जीवन इसलिये मिला है कि
* आत्मा से परमात्मा बनें। * नर से नारायण बनें। * जीव से शिव बनें। * इन्सान से भगवान् बनें। * जन से जिन बनें।
आप इन पाँच सूत्रों को अपने हृदय में अंकित कर लें, अवश्य ही एक दिन आपका मनोरथ पूर्ण होगा।