________________ ललित लेखक श्री वरुण मुनि जी महाराज अमर शिष्य उत्तर भारतीय प्रवर्तक वाणी भूषण गुरुदेव श्री अमर मुनि जी महाराज के शिष्य रत्न श्री वरुण मुनि जी महाराज श्रमण संघ की युवा चेतना के प्रतिनिधि मुनिराज हैं। संघ में "अमर शिष्य' उपनाम से विश्रुत मुनिवर की गुरु भक्ति आस्था और अनुकरण का विषय है। सेवा, स्वाध्याय और संयम के त्रिवेणी तीर्थ में स्नात इनकी साधुता श्रद्धालुओं को उमंगित और प्रफुल्लित करती है। जीवन यात्रा के 26वें एवं संयम यात्रा के दशवें सोपान पर चरणन्यास कर रहे मुनिवर ने साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। इनकी षडाधिक सर्जनात्मक कृतियों में जहां देव-गुरु-धर्म के प्रति अगाध आस्था का प्रवाह बहता है वहीं जीवन-विकास के नए आयामों का भी दर्शन होता है। मुनिवर के जीवन धरातल पर सेवा, स्वाध्याय और सर्जना की त्रिपथगा नित्य-नूतन संवेग से प्रवाहित होती रहेगी, ऐसी आशा है।