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* पद्म-पुष्प की अमर सौरभ *
करता, उन्हें सुनने और ग्रहण करने का प्रयत्न नहीं करता, वह 'स्व' और 'पर' में भेद नहीं कर सकता। वह यह भी नहीं जान पाता कि आत्मा को संसार में भटकाने वाले कौन-से कारण हैं तथा उसे मुक्त करने के साधन कौन-कौन-से हैं ? परिणाम यह होता है कि वह मनुष्य-जन्म पाकर भी उसका लाभ नहीं उठा पाता
और इस देह को छोड़ने के बाद भी पुनः नाना प्रकार की योनियों में भटकने के लिए चल देता है। किन्तु हमें ऐसी भूल नहीं करनी है। हमें तो मनुष्य-जन्मरूपी वृक्ष के समस्त फलों को प्राप्त करते हुए अपनी आत्मा को निरन्तर ऊँचा उठाना है तथा ऐसा प्रयत्न करना है कि इसकी अनन्त काल से चली आ रही यात्रा का अन्त हो। श्रुत के पात्र
शब्द कान का विषय है। अतः कान वाला जीव ही शब्द सुन सकता है। सभी प्रकार के शब्द सुनाई नहीं देते हैं। किन्तु कर्ण ग्राह्य (विषय अर्थात् कान के द्वारा ग्रहण होने योग्य) शब्दों को ही जीव सुन सकता है। यदि उसका चित्त सुनने में प्रवृत्त हो तो वह कर्णगोचर शब्दों को अवश्य सुन सकता है, अर्थात् श्रवण करने में प्रवृत्त पंचेन्द्रिय जीव ही शब्दों का श्रोता हो सकता है। हाँ, सुनने में अप्रवृत्त जीव भी शब्द के कर्णगोचर होने पर सुनने के लिए आकर्षित हो सकता है, परन्तु वह भी कान वाला जीव ही होता है। शब्द सुना जाता है और शब्द प्रधान ही श्रुत (ज्ञान या अज्ञान) होता है। अतः सुनकर होने वाला ज्ञान श्रुतज्ञान कहलाता है। बोलने वाले समस्त जीव सुन नहीं सकते। परन्तु सुनने वाले समस्त जीव प्रायः बोल सकते हैं। मूक पंचेन्द्रिय जीव में भी अस्पष्ट रूप से शब्दों के बोलने की शक्ति तो होती ही है।
जीव की पाँच जातियाँ हैं, जिसमें चार जातियाँ बिना कान वाली हैं, जैसेएकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय। पहली जाति में मात्र श्रुत अज्ञान
और शेष तीन जातियों में श्रुतज्ञान या श्रुत अज्ञान पाया ही जाता है। यदि श्रुत (ज्ञान या अज्ञान) मात्र शब्द प्रधान ही माना जाये तो उपर्युक्त आगम विधान असत्य हो जाता है, अतः शब्द की गौणता वाला श्रुत भी होता है, यह सिद्ध होता है। क्योंकि शब्दों के सिवाय इंगित, लिंग आदि से भी पदार्थ बोध गृहीत होता है
और संकेत आदि तो अन्य इन्द्रियों से भी ग्रहण किये जाते हैं। अतः संकेत आदि से वाचक और वाच्य के सम्बन्ध से युक्त होने वाला बोध श्रोत्रविहीन जातियों में पाया जाता है। वहीं दूसरे प्रकार का श्रुत है। वस्तुतः सुना जाये वह श्रुत है। श्रुत