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________________ 1 मानव शरीर और योग मानव-शरीर असीम शक्ति का स्रोत मानव का शरीर, यह छह फुट ऊँची काया, अनेक विचित्रताओं और विलक्षणताओं का भण्डार है । शक्ति का अजस्त्र और असीम स्रोत इसमें विद्यमान है। यह संसार का सबसे विलक्षण शक्ति केन्द्र ( पावर हाऊस) है। जरूरत है इस शक्ति को पहचानने और इसका उचित रूप से प्रयोग करने की । प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइन्स्टीन ने जो शक्ति-सिद्धान्त प्रतिपादित किया है उसके अनुसार एक पुद्गल परमाणु से 3, 45, 960 कैलोरी (ऊर्जा) शक्ति उत्पन्न हो सकती है। वस्तुतः विज्ञान अभी तक निश्चित रूप से यह नहीं समझ पाया है कि एक परमाणु के अन्दर यथार्थतः कितनी शक्ति है । फिर भी उक्त सन्दर्भ से आप यह अनुमान कर सकते हैं कि अनन्त पुद्गल परमाणुओं से निर्मित इस शरीर में कितनी शक्ति हो सकती है। एक अन्य वैज्ञानिक अनुमान के अनुसार 450 ग्राम पुद्गल द्रव्य को यदि पूर्ण रूप से शक्ति में परिवर्तित किया जा सके तो उससे उतनी ही शक्ति (ऊर्जा) उत्पन्न होगी जितनी 14 लाख टन कोयला जलाने पर प्राप्त होती है। हमारा शरीर भी तो पुद्गल द्रव्य (Matter) से निर्मित है। कल्पना करिए 60 किलोग्राम भार 'वाले इस शरीर से कितनी शक्ति उत्पन्न हो सकती है। इसी शक्ति के कारण वेदों में इस शरीर को 'ज्योतिषां - ज्योतिः' कहा गया है। यदि आपका मन इस सारी शक्ति का उपयोग कर सके तो सोचिये वह क्या चमत्कार नहीं कर सकता। मानव शरीर कोशिकाओं का एक महासागर ही है। इसमें 6 नील (6,00, 00, 00, 00, 00, 000) कोशिकाएँ हैं। शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाएँ, एक-दूसरी से काफी भिन्न हैं। ये इतने सूक्ष्म आकार की होती हैं कि एक आलपिन की नोंक पर लगभग दस लाख कोशिकाएँ अवस्थित रह सकती हैं; लेकिन बड़ी कोशिकाओं का आकार शुतुर्मुर्ग के अण्डे के बराबर भी होता है। * मानव शरीर और योग 1
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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