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________________ व्युत्सर्ग तप के भेद 268, गण व्युत्सर्ग 268, शरीर व्युत्सर्ग 268, कायोत्सर्ग की साधना 269, उपधि व्युत्सर्ग 269, भक्तपान व्युत्सर्ग 269, कषाय व्युत्सर्ग 270, संसार व्युत्सर्ग 270, कर्म व्युत्सर्ग 270 1 12. (तपोयोग साधना 3 ) ध्यानयोग साधना 271-295 मन की दो अवस्थाएं 271, ध्यान का लक्षण 271, ध्यान-साधना के प्रयोजन एवं उपलब्धियाँ 272, मन की चंचलता के कारण 274, ध्यान का काल-मान 275, ध्यान की पूर्वपीठिका: धारणा 276, आलम्बन की अपेक्षा से धर्मध्यान के तीन भेद 277, धारणा और ध्यान में अन्तर 278, ध्यान का महत्त्व 278, ध्यान के भेद-प्रभेद 279, आर्त्तध्यान 279, आर्तध्यान के चार भेद 279, रौद्रध्यान 281, रौद्रध्यान के चार भेद 281, धर्मध्यान : मुक्ति-साधना का प्रथम सोपान 282, ध्यान के आठ अंग 283, धर्मध्यान के आगमोक्त चार भेद 284, आज्ञाविचय धर्मध्यान 285, अपायविचय धर्मध्यान 285, विपाकवि धर्मध्यान 285, संस्थानविचय धर्मध्यान 285, धर्मध्यान के आलम्बन 286, धर्म ध्यान की चार अनुप्रेक्षाएँ 286, ध्येय की अपेक्षा से ध्यान के भेद 287, योग की अपेक्षा से धर्मध् के भेद 287, पार्थिवी धारणा 288, आग्नेयी धारणा 288, वायवी धारणा 289, वारुणी धारणा 289, तत्वरूपवती धारणा 289, ध्यान-साधना की अपेक्षा धर्मध्यान के भेद 290, पिण्डस्थ ध्यान 290, पदस्थ ध्यान 290, रूपस्थ ध्यान 291, रूपातीत ध्यान 291, धर्मध्यान की फलश्रुति 291, महाप्राणध्यान साधना 291, श्रुतकेवली आचार्य भद्रबाहु का दृष्टांत 293, आचार्य पुष्यमित्र का दृष्टान्त 293 | 13. शुक्लध्यान एवं समाधियोग 296-314 शुक्लध्यान : मुक्ति की साक्षात् साधना 296, शुक्लध्यान का अधिकारी 296, शुक्लध्यानी के लिंग 297, शुक्लध्यान के आलम्बन 298, शुक्लध्यान की अनुप्रेक्षाएँ 299, कर्मग्रंथों की अपेक्षा शुक्ल ध्यान के अधिकारी 299, शुक्लध्यान के भेद 300, ( 1 ) पृथक्त्ववितर्क सविचार शुक्लध्यान 301, ( 2 ) एकत्व - वितर्क अविचार शुक्लध्यान 302, (3) सूक्ष्मक्रिया अप्रतिपाती शुक्लध्यान 303, ( 4 ) समुच्छिन्नक्रियानिवृत्ति शुक्लध्यान 303, शुक्लध्यान और समाधि 304, शुक्लध्यान और समाधि की तुलना 305, जैन दर्शन के अनुसार मुक्ति साधना का क्रम 312 | (3) प्राण साधना 1. प्राण-शक्ति : स्वरूप, साधना, विकास और उपलब्धियाँ 315-395 315-331 सृष्टि में सर्वत्र व्याप्त प्राणशक्ति 315, प्राण के शास्त्रोक्त दश भेद 316, योग की अपेक्षा प्राणशक्ति एक ही है 316, प्राण-शक्ति प्रवाह का केन्द्र 317, प्राणवायु और प्राण का सम्बन्ध 317, आसन-शुद्धि 318, विभिन्न आसनों के लक्षण 319, नाड़ी शुद्धि 320, 59❖
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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