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श्री वरुण मुनि जी म.
जैनागम रत्नाकर आचार्य सम्राट पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज द्वारा रचित एवं साहित्य सम्राट श्रुताचार्य प्रवर्तक गुरुदेव श्री अमरमुनि जी महाराज द्वारा विवेचित - संवर्द्धित 'अध्यात्म योग साधना' नामक प्रस्तुत ग्रंथ की प्रस्तुति का सौभाग्य प्राप्त किया है – सुललित लेखक श्री वरुण मुनि जी महाराज ने। 'अमर शिष्य' उपनाम से संघ में विश्रुत श्री वरुण मुनि जी एक युवामनीषी संत हैं। ये न केवल युवा हैं बल्कि यौवनीय उत्साह और उमंग से भी इनका समग्र व्यक्तित्व ओत-प्रोत है। अपने आराध्य गुरुदेव की एकलव्ययी निष्ठा के साथ नंदीषेणयी सेवा आराधना के साथ-साथ ये उनकी श्रुत-साधना में भी पूरे मनोयोग से अपनी ऊर्जाओं का संयोजन कर रहे हैं।
सेवा, सर्जना और साधना की सौरभ से सुरभित मुनिवर का व्यक्तित्व युवापीढ़ी के मुनियों के लिए एक आदर्श है। श्रमण संघ आशान्वित है, अपने इसी उत्साह, उमंग और उद्यम के साथ मुनिवर साधना और सर्जना के पथ पर बढ़ते हुए स्वर्णिम इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय सिद्ध होंगे।
- विनोद शर्मा