________________
रत्नत्रय 18, 60
लोभवश भाषण वर्जन 132 रस-परित्याग तप 234, 242, 243, 256 लोहानीपुर 24 रस वाणिज्य 120
वचन ऊनोदरी 240 रसनेन्द्रिय बल प्राण 316
वचन गुप्ति 154, 156, 197 रहस्याभ्याख्यान (अतिचार) 115 वचन दुष्प्रणिधान 122 रागात्मिका भक्ति 45
वचन बल प्राण 316 राजयोग 24, 29, 32, 33, 277
वचन योग 16, 147, 168, 169, 262, 302, रुद्रग्रंथि 180
366 रूप लावण्य (विभूति) 95
वचनयोग साधना 253 रूपस्थ ध्यान 21, 290, 291
वचन विनय 261, 262 रूपातीत ध्यान 21, 290, 291
वचन शुद्धि 128, 169 रूपानुपात (अतिचार) 123
वचन समिति 158, 197 रेटिक्यूलर फॉर्मेशन 361
वचन सिद्धि 395 रौद्रध्यान 279, 281, 282
वज्र संहनन 27 लगुंडासन 244, 245, 327
वज्रा नाड़ी 325 लघिमा (सिद्धि) 94
वज्रासन 244,245,318,319 लब्धि 28,93-101,318
वन्दन (आवश्यक) 164, 170 लययोग 36, 37, 140
वर्गतप 238 ललना चक्र 79
वर्ग-वर्ग तप 238 लाघव (ऋद्धि) 195, 197
वर्तमान क्षण की प्रेक्षा 203, 209 लाक्षावाणिज्य 120
वशिता (सिद्धि) 94 लेश्या 274, 281, 332, 334, 336,337, वाक्समाहरणता 129, 138
338,339, 340, 341, 345 वाचना 265, 286 लेश्या ध्यान 332-347
वाचिक जप 43 लोक अनुप्रेक्षा (भावना) 213, 222 वाचिक ध्यान 272 लोक दर्शन 204
वाम-कौल 38, 39 लोकंपक्ति कृतादार 64
वाम-कौल तन्त्र योग 38, 56 लोक भावना 85
वाम मार्ग 38, 39, 40, 41 लोकैषणा 107
वायवी धारणा 288, 289 लोकोपचार विनय 261, 263
वारुणी धारणा 288, 289 लोगस्स 171
वासुदेव लब्धि 99 लोभ कषाय प्रतिसंलीनता तप 250 विकल्प रूप वृत्ति 89,90,306,307
* 416 * परिशिष्ट .