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________________ में गड़बड़ी हो जाती है तभी विभिन्न प्रकार के मानसिक रोग उठ खड़े होते कल्पना करिये कि वासना केन्द्र के जीव कोष अपनी इच्छा पूरी करना चाहते हैं यानी कामसेवन करना चाहते हैं किन्तु मस्तिष्कीय मन नहीं चाहता, (इसमें सामाजिक, पारिवारिक, आध्यात्मिक, नैतिक अनेक कारण हो सकते हैं) तो इन दोनों में संघर्ष छिड़ जाता है। इसी प्रकार की स्थिति अन्य केन्द्रों के जीव कोषों और मस्तिष्कीय मन के मध्य उपस्थित हो सकती है। आपने स्वयं अनुभव किया होगा कि आपका एक मन कुछ कहता है दूसरा उसका विरोध करता है। ऐसे क्षण प्रत्येक मानव के जीवन में आते हैं। उस समय मस्तिष्कीय मन ही एक से दो नहीं हो जाता, वह विभक्त नहीं होता, वह तो अविभक्त ही रहता है। संघर्ष तो जीव कोषीय मन अथवा अव्यक्त मन और व्यक्त मन के मध्य होता है। यदि किसी प्रकार अव्यक्त मन प्रभावी हो जाता है तो मानव का व्यक्तित्व विशृंखलित हो जाता है, उसका व्यक्तित्व विखण्डित हो जाता है और अनेक प्रकार के मानसिक रोग उसे घेर लेते हैं. वह उन रोगों के कुचक्र में फंस जाता है। कुछ प्रमुख मानसिक व्याधियों, उनके कारण और उपचार का संक्षिप्त परिचय यहाँ दे रहे हैं, जिसके प्रयोग से बिना औषधि के ही मनुष्य मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है। प्रोजीरियाः समयपूर्व वृद्धावस्था ___ जब मानव का मन विपरीत परिस्थितियों से जूझता हुआ थक जाता है तो उसमें निराशा व्याप्त हो जाती है। निराश मन वाले व्यक्ति को अपने चारों ओर अन्धकार ही दिखाई देता है, वह प्रत्येक घटना और वस्तु का काला पक्ष ही देखता है। उसे असमय में ही बुढ़ापा घेर लेता है, आयु से युवा होते हुए भी वह मन से वृद्ध हो जाता है। इस मानसिक व्याधि को आधुनिक शरीरशास्त्रीय भाषा में 'प्रोजीरिया' कहा जाता है। __ मन में निराशा का भाव आने से थाइराइड (Thyroid) ग्रन्थि से निकलने वाले हारमोन्स कम हो जाते हैं, परिणामस्वरूप शरीर में स्फूर्ति और चुस्ती की भी कमी हो जाती है। थाइराइड ग्रंथि गले की घंटी के पास होती है। इसका वजन सामान्यतया लगभग 25 ग्राम होता है। इसी पर मानव की कार्यक्षमता निर्भर होती है। इस ग्रंथि से निकलने वाले स्राव अथवा हारमोन्स (Harmones) यदि अधिक हों *356* अध्यात्म योग साधना *
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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