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________________ ईश्वर और जीवन्मुक्त बन जाता है। दूसरे शब्दों में, इस ध्यान के फलस्वरूप साधक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। (3) सूक्ष्मक्रिया अप्रतिपाती शुक्लध्यान इस शुक्लध्यान का अभिप्राय है काययोग को सूक्ष्म करना तथा अप्रतिपाती विशेषण इस बात को प्रगट करता है कि इस शुक्लध्यान में प्रवेश करने के बाद साधक वापस नहीं लौटता। तेरहवें गुणस्थानवः केवली भगवान का आयुष्य जब एक अन्तर्मुहूर्त शेष रहता है, तब उन वीतराग भगवान में योग-निरोध की प्रक्रिया आरंभ होती है। सर्वप्रथम वे भगवान स्थूल काययोग के सहारे से स्थूल मनोयोग को सूक्ष्म करते हैं। फिर सूक्ष्म काययोग के अवलम्बन से सूक्ष्म मन और वचनयोग का भी निरोध करते हैं। तब केवल सूक्ष्म काययोग अर्थात् श्वासोच्छ्वास की सूक्ष्म क्रिया शेष रहती है। (4) समुच्छिन्नक्रियानिवृत्ति शुक्लध्यान यह शक्लध्यान चौदहवें गुणस्थान में प्राप्त होता है। जिस समय श्वास-प्रश्वास आदि सूक्ष्म क्रियाओं का भी निरोध हो जाता है और आत्म-प्रदेशों में किसी भी प्रकार का कंपन नहीं होता, तब वह ध्यान समुच्छिन्न क्रियानिवृत्ति कहलाता है। इस समय आत्मा में किसी भी प्रकार के स्थूल, सूक्ष्म, मानसिक, वाचिक, कायिक व्यापार नहीं होते। आत्म-प्रदेश पूर्ण रूप से निष्कंप बन जाते हैं। आत्मा के भवोपग्राही आयु-नाम-गोत्र-वेदनीय कर्मों के बंन्धन भी निःशेष हो जाते हैं। आत्मा अयोगी बन जाता है। इस दशा को शैलेशी दशा कहा जाता है। आत्मा पूर्ण रूप से निष्कलंक एवं निष्प्रकम्प बन जाता है। तत्क्षण ही आत्मा निर्मल, शांत, निरामय, अरुज, अनंत ज्ञान-दर्शन-वीर्य-सुख आदि आत्मिक भावों में लीन शिव पद में जा विराजता है, उसकी यह दशा अनन्त काल तक रहती है। उसका भवभ्रमण का चक्कर सदा-सदा के लिए छूट जाता है। आत्मा की मुक्ति का हेतु है ध्यान। धर्मध्यान उपाय है शुक्लध्यान का, अतः यह परम्परा से मोक्ष का साधन है और शुक्लध्यान साक्षात् मुक्ति का साधन है। मुक्ति-स्थान लोक के अग्रभाग पर है, जहाँ मुक्तात्मा अपने सिद्ध, बुद्ध, मुक्त स्वभाव और सच्चिदानन्द स्वरूप में रमण करती हुई अनन्त काल तक विराजमान रहती है। यही सिद्धि पद अथवा निर्वाण है। • शुक्लध्यान एवं समाधियोग * 303 *
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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