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आगमज्ञान की आधारशिला : पचीस बोल + १७१ +
२. करूँ नहीं, अनुमोदूं नहीं मन, वचन व काया से, .
३. कराऊँ नहीं, अनुमोदूं नहीं मन, वचन व काया से। (७) अंक ३१, भंग ३-तीन करण व एक योग से कथन
१. करूँ नहीं, कराऊँ नहीं, अनुमोदूँ नहीं मन से, २. करूँ नहीं, कराऊँ नहीं, अनुमोदूँ नहीं वचन से,
३. करूँ नहीं, कराऊँ नहीं, अनुमोदूँ नहीं काया से। (८) अंक ३२, भंग ३-तीन करण व दो योग से कथन
१. करूँ नहीं, कराऊँ नहीं, अनुमोदूँ नहीं मन व वचन से,
२. करूँ नहीं, कराऊँ नहीं, अनुमोदूँ नहीं वचन व काया से, - ३. करूँ नहीं, कराऊँ नहीं, अनुमोदूं नहीं मन व काया से। (९) अंक ३३, भंग १-तीन करण व तीन योग से कथन· करूँ नहीं, कराऊँ नहीं, अनुमोदूँ नहीं मन से, वचन से व काया से।
इस प्रकार अंक ११ के ९ भंग, अंक १२ के ९ भंग, अंक १३ के ३ भंग, अंक २१ के ९ भंग, अंक २२ के ९ भंग, अंक २३ के ३ भंग, अंक ३१ के ३ भंग, अंक ३२ के ३ भंग और अंक ३३ के १ भंग कुल मिलाकर ४९ भंग होते हैं।
अतः श्रावक के बारह व्रतों के कुल ४९ भंग होते हैं जिन्हें श्रावक प्रयोग कर किसी भी पाप का परित्याग कर कर्मों के आस्रव द्वार को बंद कर सकता है। ये ४९ मार्ग हैं। .
(आधार : भगवतीसूत्र ८/५)
प्रश्नावली १. प्रज्ञा से क्या तात्पर्य है? इसके कितने भेद हैं? २. भंग किसे कहते हैं? इसके कितने भेद हैं? ३. करण और योग से आप क्या समझते हैं? इसके कितने प्रकार हैं? ४. कितने भंगों में हिंसा रोकी जा सकती है? समझाइए। ५. अपरिग्रह और अचौर्य महाव्रत का पालन कितने भंगों से किया जा सकता है? ६. श्रावक के बारह व्रतों के ४९ भंगों को संक्षेप में समझाइए। ७. पाँच कोटि के त्याग किस प्रकार किए जाते हैं तथा इसमें कितने भंग हैं और
कौन-कौन-से हैं?