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बाईसवाँ बोल : श्रावक के बारह व्रत
( श्रावक के बारह व्रतों का स्वरूप और उनकी उपयोगिता)
पाँच अणुव्रत
(१) अहिंसा अणुव्रत,
(२) सत्य अणुव्रत,
(३) अस्तेय अणुव्रत, (४) ब्रह्मचर्य अणुव्रत, (५) अपरिग्रह अणुव्रत ।
तीन गुणव्रत
(१) दिशा परिमाण व्रत,
(२) भोगोपभोग परिमाण व्रत, (३) अनर्थदण्ड विरमण व्रत ।
चार शिक्षाणुव्रत
(१) सामायिक व्रत,
(२) देशावकाशिक व्रत,
(३) पौषध व्रत,
(४) अतिथि संविभाग व्रत ।
संसार में दो ही मार्ग हैं - एक आध्यात्मिक मार्ग और दूसरा राग या संसार का मार्ग । आध्यात्मिकता की ओर ले जाने वाला मार्ग अध्यात्म का मार्ग है, यानी मोक्ष का मार्ग है और संसार की ओर ले जाने वाला मार्ग संसार का मार्ग है, यानी विषय-वासनाओं को, भौतिक, सांसारिक लिप्साओं, प्रलोभनों, स्वार्थ और भय आदि को बढ़ाने वाला मार्ग संसार का मार्ग है। मोक्षमार्ग पर चलने वाला गृहस्थ श्रावक कहलाता है जिनमें पुरुषवर्ग श्रावक हैं और स्त्रीवर्ग श्राविका । श्रावक-श्राविका श्रद्धापूर्वक श्रमणधर्म का श्रवण करते हैं और यथाशक्ति उस पर आचरण भी करते हैं। उनका चित्त विरक्त रहता है। वे