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________________ ४२ वद्यपि उपपुराणों का परिगणन उन मूल्यवान् ग्रंथों एवं अभिलेखों के रूप में किया गया है जो प्राचीन भारतीय, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक जीवन, राजनीतिक उथल-पुथल एव धार्मिक भावनाओं के विषय में मूल्यांवन सामग्री संजोये हुये हैं, फिर भी अभी तक विद्वानों एवं मनीषियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट नहीं हो सका है। कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेन्द्र चन्द्र हाजरा के अतिरिक्त किसी अन्य विद्वान ने अपनी लेखनी इस विषय पर नहीं उठाई है। यद्यपि डा०हाजरा ने उपपुराण सम्बन्धी अध्ययन काफी परिश्रम से किया है परन्तु उनका अध्ययन इन पुराणों के विषय में बहुत ही कम सामग्री उपलब्ध कराता है एवं एक प्रकार से प्राथमिक ज्ञान ही हो पाता है इनके ग्रन्थों से । डा० हाजरा, ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकतर वर्णनात्मक ही रहे हैं और इसी के कारण इस बड़ी भारी ज्ञान निधि का मूल्यांकन कुछ सीमा तक ही हो सका है। उपपुराणों की शक्ति सम्बन्धी सामग्री का अध्ययन मैंने अपनी शक्ति कल्ट इन एन्श्येन्ट इंडिया' नामक पुस्तक में दिया है। इस अध्ययन को प्रस्तुत करते हुये मुझे उपपुराणों में बड़ी ही मूल्यवान एवं वैविध्यपूर्ण सामग्री के दर्शन हुये हैं जो मैं आगामी कृतियों में विद्वानों के समक्ष रखूगा । शेष अभी तक किसी भी बिद्रान ने इन मूल्यवान कृतियों पर कार्य नहीं किया है। इस पुराण का सम्पादन उपलब्ध पाण्डुलिपियों के आधार पर किया गया है। पाण्डुलिपियां बहत ही कम संख्या में उपलब्ध हुई हैं। यथाशक्ति मैंने पाठ को शुद्ध करने की चेष्टा की है परन्तु फिर भी अशुद्धियां रह गई हैं। तथापि मैं आशा करता हूँ कि देवीपुराण के इस संशोधित संस्करण के प्रकाशित होने से पूराण विद्या तथा देवी विद्या के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित हो सकेगा एवं विद्वानों का ध्यान इस ओर आकृष्ट होगा, इस दिशा में नये २ कार्यों में प्रवृत्ति होगी और उपपुराण साहित्य का अगाध भण्डार भी प्रकाश में आने लगेगा । तथा उस भण्डार के अध्ययन से प्राचीन भारतीय विद्याओं पर यथेष्ट प्रकाश पडेगा और इस प्रकार मां सरस्वती के शृंगार में अभिवृद्धि होगी। सरस्वती श्रुति महती महीयताम् । अन्त में अपना यह विनम्र प्रयास मां भगवती के श्री चरणों में सादर, सविनय अर्पित करता है। लोकानां हितकामाय तवाप्याराधनाय च । अमृतं ज्ञानं संपादय समर्पये सुरेश्वरि ॥ .
SR No.002465
Book TitleDevi Puranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpendra Sharma
PublisherLalbahadur Shastri Kendriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year1976
Total Pages588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, L000, & L015
File Size11 MB
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