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नन्दा देवी :
नन्दा देवी हिमालय में निवास करती हैं। इसी नाम के एक तीर्थ की देवी पुराण में काफी महिमा गायी गई है। नन्दा तीर्थ या नन्दापुरी के वैभव के वर्णन की देवी भागवत पु० के मणिद्वीप के वर्णन से तुलना की जा सकती है। इस पुरी में सभी प्रकार की वैभव सामग्री विद्यमान रहती है क्योंकि वहाँ पर सारे जगत् की अधिष्ठात्री देवी निवास करती है। नन्दा देवी का विशेष रूप से अवतरण रुरू दैत्य का विनाश करने के लिए हुआ था । रुरु ने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया था अजेयता का अतः वह सभी देवताओं को पीड़ित करता रहता था ।' उससे रुष्ट होकर देवगण विष्णु की शरण में पहुंचे, एवं सारी कथा सुनायी । विष्णु ने शिव और शक्ति की स्तुति की और तत्र शिव के साथ रुरू का घमासान युद्ध हुआ । तदनन्तर ब्रह्माजी भी स्त्रीरूप में सहातार्थ या पहुंचे । ब्रह्माजी के क्रोध या तेज से ब्रह्माणी की उत्पत्ति हुई जो हंस पर विराजमान हैं, हाथों में कमण्डलु एवं हथियार लिए हुये हैं एवं वह दैत्यों का संहार करने को उद्यत हुई ।
उमा शिव :
देवीपुराण में देवी को भगवान शिव की पत्नी ' स्वीकार किया है एवं कई बार शिव के साथ उनकी स्तुति भी की गई है । यहाँ तक की वेदान्तियों की भांति संसार को हो शिव शक्तिमय बतलाया गया है। यह शक्ति संसार का नियमन करती है, कारणों का भी कारण है, और सभी योग सम्प्रदायों व विद्याओं की उद्भावक है। रौद्री या महारौद्री रूप में सभी देवताओं से वन्दनीय है और विद्यास्वरूपा है । साक्षात् क्रोधमूर्ति है, दुष्टों व राक्षसों के लिए मृत्युस्वरूपा है। वह क्रिया, शक्ति, काल, जल, भक्ति, पराविद्या सभी कुछ तो है। शिव के रूप एवं गुणों की अशदायी होने के कारण परवर्ती युग में अर्धनारीश्वर रूप विकसित हुआ' जो भारतीय मूर्ति कला का भव्यतम रूप माना जाता है ।
क्षेमंकरी :
इस देवी को आद्या शक्ति रूप में स्वीकार किया गया हैं । यह देवी का भीषण स्वरूप है जो देवताओं की प्रार्थना पर सुबल नामक दैत्य का वध करने के लिये प्रकट हुआ था । वह देवी वृद्ध के रूप में प्रकट हुई थी। वह कृशकाय है, रक्तशिराएं उभरी हुई हैं, मांसरहित शरीर है, आँखें अन्दर को धंसी हुई हैं; कान आधे दिखाई देते हैं, चिन्तामग्न, मुख फटा हुआ है, सैंकड़ो अस्त्रशस्त्रों से सुसज्जित यह रूप बड़ा ही भयावह है । क्रौञ्चद्वीप देवी का निवास स्थान है तथा वह आठ विद्याओं
१. देवीपुराण ६३ / ५-१०२ २ . वही ८४/२०-२६
३. वही ८३ / ६६
४. वही ८३/४६
५. वही ८३/४७-१२०
६. वही ३६ / १३६- १३६